इसको लेकर 90 स्कूल के प्रधानाध्यापकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जिले में 891 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और कंपोजिट विद्यालय संचालित है। इसमें दो लाख बच्चे पंजीकृत हैं। पूर्व के वर्षों में रंग-रोगन के लिए सभी विद्यालयों को सात से 10 हजार रुपये शासन से मिलते थे। इससे स्कूलों की न तो ठीक से रंगाई-पुताई हो पाती थी और न ही दूसरे सामान की खरीदारी। 2019-20 सत्र से सरकार ने स्कूलों में छात्र संख्या के आधार पर कंपोजिट ग्रांट आवंटित करना शुरू किया, जिससे जरूरत के हिसाब से स्कूलों में महत्वपूर्ण काम कराए जा सकें। एक से 30 तक बच्चों की संख्या पर 10 हजार रुपये, 30 से 100 बच्चों पर 25 हजार, 100 से 250 बच्चों पर 50 हजार, 250 से 1000 बच्चों पर 75 हजार और 1000 से अधिक बच्चों वाले स्कूलों को एक लाख रुपये ग्रांट उपलब्ध कराई जाती है। साल 2021 में चार करोड़ 35 लाख स्कूलों के लिए ग्रांट आवंटित की गई थी। अधिकतर स्कूलों में ग्रांट की राशि से स्कूलों की तस्वीर बदली गई, लेकिन कई विद्यालयों में गड़बड़ी की गई। डीसी निर्माण शिवम सिंह ने बताया कि खंड शिक्षा अधिकारियों के अलावा उन्होंने 150 से अधिक विद्यालयों की जांच की। इसमें प्राथमिक विद्यालय बीसापुर, पूर्व माध्यमिक विद्यालय अनेगपुर, मदनपुर, सुधवैं सहित 90 विद्यालयों में ग्रांट की रकम खर्च कर दी गई, लेकिन काम हुए नहीं। कुछ स्कूलों में मानक के अनुसार काम नहीं कराया गया। इसको लेकर प्रधानाध्यापकों को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन्होंने कहा कि जवाब न देने पर जवाबदेही तय की जाएगी।
ज्ञानपुर। परिषदीय स्कूलों के रखरखाव के लिए मिलने वाले कंपोजिट ग्रांट के खर्च में धांधली सामने आई है। डीसी निर्माण की जांच में आधे-अधूरे एवं मानक के अनुसार काम नहीं मिले।
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