इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनामिका शुक्ला के नाम पर फर्जी शिक्षिकाओं को भर्ती कराने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड मैनपुरी निवासी पुष्पेंद्र उर्फ गुरुजी की जमानत सशर्त स्वीकार कर ली है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने दिया है। गौरतलब है कि मई 2020 में कासगंज के सोरों थाने में तत्कालीन बीएसए ने अनामिका शुक्ला नामक फर्जी शिक्षिका के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में पुलिस ने अनामिका शुक्ला बन फर्जी नौकरी कर रही सुप्रिया को गिरफ्तार किया था। विवेचना के दौरान पता चला कि मैनपुरी के पुष्पेंद्र उर्फ गुरुजी ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर महिला को नौकरी दिलाई थी। बाद में पुलिस की गहन जांच के पता चला कि पुष्पेंद्र फर्जी भर्ती गिरोह का मास्टरमाइंड है।
उसने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर प्रदेश में दर्जनभर से अधिक फर्जी नियुक्तियां करा दी हैं। वह पिछले 26 महीने जेल में था। उसकी जमानत के समर्थन में दलील दी गई कि फर्जी नियुक्ति के मुख्य सूत्रधार विभागीय कर्मचारी हैं। शिक्षिका की अवैध नियुक्ति से याची का कोई संबंध नहीं है। पुलिस ने अकारण ही उसे गलत फंसाया है। सरकारी वकील ने अपराध की प्रकृति के आधार पर जमानत अर्जी का विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने दाताराम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई में सुप्रीम कोर्ट के विधिक सिद्धांतों पर विचार करते हुए आरोपी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली।