क्या है शिव का शिक्षा से कनेक्शन? दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला में क्यों लगी है नटराज की प्रतिमा

महाशिवरात्रि भगवान शिव का दिन है. वह शिव जिन्हें दुनिया अलग-अलग रूप में जानती है. उन्हें विश्वरूप भी कहा जाता है और करुणावतार भी. वह स्वयंभू भी हैं और क्रोध, उग्रता के प्रतीक भी, फिर भी शिव को सबसे उदार स्वरूप में देखा जाता है, मगर क्या आपने कभी सोचा है कैलाश पर्वत पर रहने वाले भगवान शिव का शिक्षा से भी खास कनेक्शन है. शास्त्रों में न सही लेकिन वैज्ञानिक खुद इसकी व्याख्या करते हैं.

दुनिया की सबसे बड़ी फिजिक्स लैब सर्न में लगी भगवान शिव यानी नटराज की प्रतिमा आस्था और विज्ञान के इसी संगम की बानगी है. इस प्रतिमा पर भौतिक विज्ञानी फ्रिट्ज़ॉफ कैपरा की वो लाइनें लिखी हैं जो उन्होंने ‘द ताओ ऑफ फिजिक्स’ में लिखा है. उन्होंने लिखा है कि मैं समुद्र तट पर बैठा तो मेरे पिछले अनुभव जीवित हो उठे. मैंने ऊर्जा के झरनों को अंतरिक्ष से नीचे आते देखा, जिसमें क्वांटम का लयबद्ध स्पंदन हुआ और फिर नष्ट हो गया. मैंने इन तत्वों के परमाणुओं और अपने शरीर के परमाणुओं की ऊर्जा को ब्रह्मांडीय नृत्य में हिस्सा लेते महसूस किया तब मुझे पता चला कि शिव का तांडव नृत्य है. दरअसल नटराज भगवान शिव का ही एक रूप हैं. इसमें भगवान शिव को नृत्य करते दिखाया जाता है. इसके चारों ओर एक घेरा है जिसे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है.

नटराज की प्रतिमा और क्वांटम फिजिक्स

साइंस की नजर से देखें तो इसमें तांडव का महत्व पौराणिक कथाओं से पूरी तरह अलग है. यह डांस गति का प्रतीक है ठीक उसी तरह जैसा कि क्वांटम यांत्रिकी में दिखने वाले इलेक्ट्रॉन की दुनिया की तरह. इस तय में विनाश को अंत नहीं माना गया, यह आवश्यक है नए मन के लिए. शिव के तांडव नृत्य के बारे में ये माना जाता है कि इसके साथ ही जीवन का सृजन, संरक्षण और विनाश एक साथ हो रहा है. यह एक ब्रह्रांडीय प्रक्रिया है, जिसमें सब एक साथ होता रहा है. क्वांटम यांत्रिकी भी कुछ ऐसा ही दर्शाती है, जिसमें कुछ भी स्थितर नहीं है. इलेक्ट्रॉन ठीक उसी तरह की तरंग है, जो तांडव नृत्य में हो रहा है.

लैब में कहां से आई नटराज की प्रतिमा

स्विटजरलैंड की सबसे बड़ी फिजिक्स लैब में लगी नटराज की इस मूर्ति को भारत सरकार ने ही तोहफे में दिया था. 18 जून 2004 को इस प्रतिमा का अनावरण किया गया था. इस प्रतिमा के पीछे वैज्ञानिक तर्क ये दिया जाता है कि फिजिक्स की एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की मदद से जो कॉस्मिक डांस दर्शाया जाता है, वह नटराज की पौराणिक कथाओं से मेल खाता है. ये आस्था और मॉर्डन फिजिक्स का वो मिश्रण है, दुनिया की जिसको आवश्यकता है. यह दुनिया के कई देशों के सहयोग से चल रही है, जिसमें भारत भी सहयोगी है.

शिव को क्या मानते हैं वैज्ञानिक

भौतिक विज्ञानी फ्रिट्ज़ॉफ कैपरा की मानें तो वह कहते हैं कि शिव का यह नाचता स्वरूप ही ब्रह्मांड को दर्शाता है. शिव हमें याद दिलाते हैं कि दुनिया में कुछ भी मौलिक नहीं है, सब भ्रम है और वह हर पल बदलता रहता है. मॉर्डन फिजिक्स भी यह मानती है कि प्राणियों का जन्म, मरण की प्रक्रिया चलती रहती है. क्वांटम फिल्ड थ्योरी के हिसाब से देखें तो किसी भी पदार्थ का निर्माण और उसका खत्म हो जाना भगवान शिव के डांस पर भी आधारित है. क्वांटम फिजिक्स में एनर्जी भी इसी तरह डांस करती है.