तेलंगाना के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने 13 मार्च 2025 को अपने परिसर में धरना, आंदोलन और नारेबाजी पर रोक लगा दी. इसके बाद से ही यह मुद्दा लगातार तूल पकड़ रहा है. यूनिवर्सिटी ने कहा कि हाल ही में हुए धरन प्रदर्शनों की वजह से यूनिवर्सिटी का काम प्रभावित हुआ है जिसके चलते यह फैसला लिया गया है. लेकिन इस पर पूरे राज्य में सियासत गरमा गई है.
स्थानीय समाचारों के मुताबिक उस्मानिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने मंगलवार रात उस समय विरोध प्रदर्शन शुरू किया जब न्यू गोदावरी हॉस्टल के मेस में खाने के लिए दी गई करी में कथित तौर पर एक ब्लेड पाया गया. इस पर गुस्साए छात्रों ने यूनिवर्सिटी की मुख्य सड़क को बंद कर दिया और नारेबाजी करते हुए प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया. छात्रों का आरोप था कि यह अकेला मामला नहीं था कुछ दिन पहले ही मेस में कीवी करी में कीड़े पाए गए थे.
नोटिस में क्या-क्या?
13 मार्च को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें कहा गया कि स्टूडेंट्स के गुटों द्वारा ऐकेडमिक और प्रशासनिक भवनों में प्रदर्शन किए गए. इससे प्रशासनिक कार्यों में रुकावट आई और संस्थान की छवि पर नेगेटिव प्रभाव पड़ा. सर्कुलर में कहा गया कि इन घटनाओं से यूनिवर्सिटी के सुचारू संचालन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं उत्पन्न हुई हैं.
यूनिवर्सिटी ने किस-किस पर रोक लगाई
अवैध रूप से परिसर में प्रवेश
धरने और आंदोलनों का आयोजन
नारेबाजी करना
प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके काम करने से रोकना
यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ गंदे और अपमानजनक शब्दों का उपयोग
यह चेतावनी दी गई कि यदि कोई इस प्रतिबंध का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
राज्य में मचा सियासी बवाल
यूनिवर्सिटी के इस फैसले के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गईं. केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस निर्णय को अलोकतांत्रिक बताया और कहा कि उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने तेलंगाना राज्य गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने याद किया कि इस यूनिवर्सिटी से “वन्दे मातरम्” का नारा उठा था.
वहीं बीआरएस नेता कृष्णंक ने भी राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया और इसे और ‘अविरोध सहन न करने’ की मानसिकता का प्रतीक बताया. बीजेपी नेता रामचंदर राव ने इसे तेलंगाना में ‘अघोषित आपातकाल’ ही करार दे दिया. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी का परिसर आंदोलन का गढ़ रहा है.
यूनिवर्सिटी ने दिया स्पष्टीकरण
प्रदर्शनों के बाद उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने अपने 13 मार्च के सर्कुलर पर एक स्पष्टीकरण जारी किया. यूनिवर्सिटी ने कहा कि सर्कुलर का गलत अर्थ निकाला गया है. यूनिवर्सिटी ने यह स्पष्ट किया कि यह प्रतिबंध केवल शैक्षणिक और प्रशासनिक भवनों में लागू है. खुले स्थानों में प्रदर्शन या आंदोलन पर कोई रोक नहीं है.