जहां गूंजते थे बम के धमाके, वहां की यूनिवर्सिटी में 20% पद खाली, जानें कौन-कौन सा पोस्ट है वेकेंट

कश्मीर यूनिवर्सिटी में टीचर्स और कर्मचारियों की भारी कमी की बात सामने निकलकर आई है. कुल 2,859 स्वीकृत पोस्ट्स में से करीब 570 पोस्ट खाली हैं. इसका मतलब है कि यूनिवर्सिटी में लगभग 20 फीसदी पोस्ट्स पर अब तक नियुक्ति नहीं हुई है. यह जानकारी यूनिवर्सिटी ने RTI एक्ट के तहत जम्मू के ‘सूचना का अधिकार’ कार्यकर्ता रमन कुमार शर्मा को आवेदन के जवाब में दी है.

RTI के जवाब में यूनिवर्सिटी के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी और सहायक रजिस्ट्रार गुलाम मोहम्मद वानी ने बताया कि यूनिवर्सिटी में टीचर्स की स्थिति बहुत चिंताजनक है. 56 प्रोफेसर पोस्ट्स में से 47 खाली हैं. वहीं 120 एसोसिएट प्रोफेसर में से 91 पोस्ट खाली हैं. असिस्टेंट प्रोफेसर के 371 पोस्ट्स में से सिर्फ 291 ही भरे हुए हैं यानी 80 पोस्ट अब भी खाली हैं. इसके अलावा, 7 डायरेक्टर पोस्ट्स में से 5 खाली हैं.

कौन-कौन से पोस्ट खाली?

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक वानी ने बताया कि जूनियर असिस्टेंट के 180 पोस्ट्स में से 110 पर कोई कर्मचारी तैनात नहीं है. RTI से यह भी सामने आया है कि कई प्रशासनिक और शैक्षणिक पोस्ट भी लंबे समय से खाली पड़े हैं. जिनमें डीन कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल, डीन स्टूडेंट वेलफेयर, एकेडमिक कोऑर्डिनेटर, रिसर्च फेलो, एडिटर-कम-लेक्चरर, डॉक्यूमेंटेशन ऑफिसर और असिस्टेंट एस्टेट ऑफिसर शामिल हैं.

नर्सिंग विभाग में भी स्थिति चिंताजनक है जहां प्रोफेसर-कम-प्रिंसिपल, दो असिस्टेंट प्रोफेसर और तीन ट्यूटर के पोस्ट खाली हैं. फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में दो डिप्टी डायरेक्टर और तीन असिस्टेंट डायरेक्टर की नियुक्ति अब तक नहीं हुई है. डायरेक्टरेट ऑफ इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस में भी ऐसे ही कई अहम पोस्ट खाली हैं.

कई विभागों का बुरा हाल

यूनिवर्सिटी के म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स इंस्टिट्यूट में भी प्रिंसिपल नहीं है और सात में से केवल तीन सीनियर इंस्ट्रक्टर ही कार्यरत हैं. इसके अलावा तीन जॉइंट रजिस्ट्रार, दो डिप्टी रजिस्ट्रार, सात असिस्टेंट रजिस्ट्रार, एक ऑडिटर, दो कंप्यूटर ऑपरेटर, तीन हिंदी टाइपिस्ट और पांच जूनियर इंजीनियर के पोस्ट भी खाली पड़े हैं.

इस स्थिति ने न केवल शैक्षणिक व्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि यूनिवर्सिटी की प्रशासनिक क्षमता पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि यूनिवर्सिटी और सरकार मिलकर इन खाली पदों को कब तक भरते हैं.