यूपी के संभल जिले के एक निजी स्कूल में उत्तराखंड बोर्ड की पुस्तकें पढ़ाई जा रही थीं, अनियमितताएं मिलने पर शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं.विभाग की ओर से ये कार्रवाई उन शिकायतों के बाद की गई थी जो लगातार अभिभावकों की ओर से मिल रही थीं.स्कूल पर मनमाना शुल्क बढ़ाने और स्टेशनरी एक विशेष दुकान से खरीदने के लिए दबाव बनाए जाने का भी आरोप है.
यह मामला संभल के आलम सराय में स्थित सेंट मैरीज स्कूल का है. शिकायतों के आधार पर बुधवार को जिला विद्यालय निरीक्षक श्यामा कुमार और एसडीएम वंदना मिश्रा ने स्कूल का औचक निरीक्षण किया.इस दौरान सामने आया कि स्कूल में कई कक्षाओं में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें प्रयोग में लाई जा रही हैं, इनमें कुछ उत्तराखंड राज्य बोर्ड की भी थीं. यह स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है क्योंकि किसी भी विद्यालय को राज्य शिक्षा विभाग और जिला परीक्षा समिति से पूर्व स्वीकृति के बिना अन्य राज्य की पाठ्यपुस्तकों का प्रयोग करने की अनुमति नहीं है.
नियमों की अनदेखी
शिक्षा विभाग के मानक के अनुरूप नहीं
डीआईओएस श्यामा कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि स्कूल में पाठ्यपुस्तकों के चयन को लेकर नियमों की अनदेखी की गई है. उत्तराखंड बोर्ड की पुस्तकों का प्रयोग इस बात का संकेत है कि स्कूल प्रबंधन अपने विवेक से सामग्री चुन रहा है, जो कि शिक्षा विभाग के मानकों के अनुरूप नहीं है. साथ ही, केवल एक खास विक्रेता से पुस्तकें खरीदने का दबाव डालना भी अनैतिक और अनुचित माना गया है.
RTE के तहत नहीं हुए नामांकन
जांच टीम ने स्कूल में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के अंतर्गत होने वाले नामांकन की भी समीक्षा की. इस दौरान पता चला कि इस वर्ष स्कूल में RTE के तहत किसी भी छात्र का नामांकन नहीं किया गया है, जबकि अधिनियम के अनुसार, निजी स्कूलों को प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित करनी होती हैं.
अधिकारियों ने शुरू की जांच
इन सभी गड़बड़ियों को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों ने विस्तृत जांच शुरू कर दी है. जांच के निष्कर्षों के आधार पर संबंधित विद्यालय प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. यह मामला शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और नियमों के पालन की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर करता है.