क्या है सिंधु जल समझौता? पहलगाम हमले के बाद भारत ने जिसे किया रद्द

पहलगाम आतंकी हमले पर भारत के गुस्से का असर अब दिखने लगा है. कायराना हमने के बदले की शुरुआत भारत ने शुरू कर दी है. इसके लिए भारत सरकार ने कई सख्त फैसले लिए हैं.इनमें सिंधु जल समझौता भी शामिल है. भारत और पाक के बीच सिंधु समेत पांच नदियों के बंटवारे के लिए हुआ यह समझौता भारत ने रद्द कर दिया है.

कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकियों ने कायराना हमला कर पर्यटकों को निशाना बनाया था. इसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे.हमले की वजह से पीएम मोदी सऊदी का दौरा बीच में ही छोड़कर देश वापस लौट आए थे.बुधवार को पीएम की अध्यक्षता में सीसीएस की महत्वपूर्ण बैठक हुई.इसमें पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया गया.इसके अलावा अटारी बाघा बॉर्डर चेक पोस्ट को भी बंद करने का फैसला लिया गया. पाकिस्तान हाई कमीशन से 5 सपोर्ट स्टाफ हटाने और भारत में पाक उच्चायोग को बंद करने का फैसला लेने के साथ तीनों सेनाओं को भी अलर्ट पर रखा गया है.

क्या है सिंधु जल समझौता

भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों सतलुज , व्यास, रावी, झेलम और चिनाव के जल को दोनों देशों के बीच बांटने के समझौते को ही सिंधु जल समझौता कहते हैं.यह समझौता 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ था.इस पर पाकिस्तान के तत्कालीन फील्ड मार्शल अयूब खान ओर भारत के तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू सहमत हुए थे.इसके तहत पूर्वी नदियों व्यास, रावी और सतलुज के जल का प्रयोग भारत करता है, जबकि पश्चिमी नदियां चिनाव, सिंधु और झेलम का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया जाता है.हालांकि अगर ओवरऑल देखें तो इस संधि के तहत छह नदियों का महज 20 प्रतिशत पानी ही भारत को मिलता है, जबकि 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान प्रयोग करता है. संधि के दौरान ही देानों देशों के बीच एक स्थायी सिंधु आयोग का भी गठन हुआ था, जिसकी हर साल बैठक होती है.

Indus Water Treaty Signed By Jawayar Lal Nehru

पाकिस्तान के तत्कालीन फील्ड मार्शल अयूब खान ओर भारत के तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू संधि पर हस्ताक्षर करते हुए. (फाइल फोटो)

पाकिस्तान ने हाल ही में उठाए थे सवाल

इसी साल की शुरुआत में पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते पर सवाल उठाया था. पाकिस्तान ने दावा किया था कि भारत ने किशनगंगा जल विद्युत परियोजना के लिए सिंधु जल समझौते का उल्लंघन किया है. इसके अलावा पाकिस्तान ने रतले जल विद्युत परियोजना पर भी सवाल उठाते हुए विश्व बैंक से एक तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त करने की मांग की थी.भारत ने इसका विरोध किया था.

यह भी पढ़ें : क्या होती है मरीन कमांडो फोर्स, कैसे चुने जाते हैं मार्कोस, पहलगाम के बदले के बीच क्यों हो रही चर्चा?

पहली बार तोड़ा गया समझौता

1960 से लेकर अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार युद्ध हो चुका है, लेकिन भारत ने कभी भी इस समझौते को नहीं तोड़ा था.दरअसल संधि के दौरान ये नियम था कि दोनों देश मिलकर ही इस संधि में बदलाव कर सकते हैं.हालांकि लगातार आतंकी हमलों के बाद इस तरह के सवाल उठते रहे हैं कि समझौते को रद्द कर दिया जाए.अब पहलगाम हमले के बाद भारत ने ये कर दिया है.

अब पाकिस्तान का क्या होगा?

सिंधु जल समझौते के बाद पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी को तरस जाएगा. इसे विस्तार से समझने के लिए इतिहास में वापस लौटना होगा. दरअसल आजादी के बाद 1948 में भारत ने अपनी दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया था.इसके पाकिस्तानी पंजाब में 17 लाख एकड़ जमीन पानी को तरस गई थी.इसके बाद विश्व बैंक ने मध्यस्थता कर दोनों देशों के बीच सिंधु जल समझौता कराया था. अब भारत के फैसले के बाद एक बार फिर पाकिस्तान को गंभीर जल संकट से गुजरना पड़ सकता है.हालांकि उसके बाद विश्व बैंक में इसके लिए अपील करने का अधिकार होगा.

यह भी पढ़ें : आतंकियों को चुन-चुनकर मारेंगे गरुड़ कमांडो, जानिए कैसे होता है इस एलीट फोर्स में चयन