कर्नाटक सरकार ने राज्य के गवर्नमेंट स्कूलों में कंप्यूटर एजुकेशन को मजबूत करने के लिए एक न्यू प्लान की शुरुआत की है. प्लान के तहत i-Code Labs नाम की कंप्यूटर लैब्स कुछ चुनिंदा गवर्नमेंट स्कूलों में शुरू की जाएंगी. प्रोग्राम अकैडमिक सेशन 2025-26 से लागू होगा और इसका उद्देश्य यह है कि गवर्नमेंट स्कूलों के स्टूडेंट भी प्राइवेट स्कूलों के स्टूडेंटों की तरह कंप्यूटर और कोडिंग की एजुकेशन पा सकें.
राज्य में लगभग 43,000 गवर्नमेंट स्कूल हैं लेकिन इनमें से केवल करीब 1,500 स्कूलों में ही सही मायनों में कंप्यूटर लैब्स मौजूद हैं. ज्यादातर स्कूलों में कंप्यूटर, इंटरनेट या इलेक्ट्रिसिटी जैसी बेसिक फैसिलिटीज तक नहीं हैं, जिससे स्टूडेंटों को डिजिटल एजुकेशन से वंचित रहना पड़ता है.
वहीं दूसरी तरफ, लगभग सभी प्राइवेट स्कूलों में आधुनिक कंप्यूटर लैब्स के साथ बच्चों को कोडिंग और टेक्निकल एजुकेशन दी जा रही है. इसी अंतर को कम करने के लिए सरकार ने यह पहल की है.
क्या होगा i-Code Labs में
i-Code Labs के जरिए स्टूडेंटों को क्लास 6 से लेकर 10 तक कंप्यूटर की बेसिक जानकारी के साथ-साथ कोडिंग और लॉजिकल थिंकिंग सिखाई जाएगी. यह न सिर्फ टेक्निकल समझ बढ़ाएगा, बल्कि बाकी सब्जेक्ट में भी उनकी सोचने-समझने की क्षमता को बेहतर बनाएगा. अगस्त्य फाउंडेशन के साथ मिलकर यह प्रोजेक्ट चलाया जाएगा, जिससे स्टूडेंटों को सही गाइडेंस और मॉडर्न लैब्स की सुविधा मिलेगी.
हब और स्पोक मॉडल से होगी पढ़ाई
इस प्लान को राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2025-26 के बजट में घोषित किया था. इसके अनुसार, 63 स्कूलों को ‘हब स्कूल’ के रूप में विकसित किया जाएगा और उनसे जुड़े 756 ‘स्पोक स्कूल्स’ को सीधे तौर पर इस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा. इसका मतलब है कि एक हब स्कूल कई स्कूलों को एकसाथ कंप्यूटर एजुकेशन प्रदान करेगा.
एजुकेशन में तकनीक की नई शुरुआत
इस पहल से गवर्नमेंट स्कूलों के बच्चों को भी तकनीक से जुड़े फ्यूचर के लिए तैयार किया जा सकेगा. कोडिंग जैसी स्किल्स आज की डिजिटल दुनिया में बहुत जरूरी हो गई हैं और इस प्लान से यह संभव हो पाएगा कि हर बच्चा टेक्निकल रूप से स्ट्रॉन्ग बन सके, चाहे वह किसी भी इकोनॉमिक ऑर सोशल बैकग्राउंड से आता हो.
कर्नाटक का यह प्लान न केवल एक एजुकेशनल रिफॉर्म है बल्कि डिजिटल इक्वालिटी की ओर बढ़ा हुआ एक इम्पॉर्टेंट स्टेप भी है. गवर्नमेंट स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों को इससे नई दिशा और बेहतर फ्यूचर मिलेगा. यदि यह मॉडल सफल होता है तो यह पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन सकता है.
ये भी पढ़ें: अब डिप्लोमा नहीं डिग्री भी देगा FTII पुणे और और SRFTI कोलकाता, मिला डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा