जातीय जनगणना: नौकरियों में आरक्षण की सीमा क्या है? जानिए किसकी कितनी हिस्सेदारी

देश में जातीय जनगणना होगी, मोदी सरकार ने इस पर मुहर लगा दी है. CCPA की बुधवार को हुई इस बैठक में फैसला लिया गया कि जनगणना में ही जातीय जनगणना भी होगी. सरकार के इस फैसले के बाद ये सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या जातीय जनगणना के हिसाब से नौकरियों में आरक्षण के प्रावधान को भी बदला जाएगा? दरअसल जातीय जनगणना से सरकार को यह जानने में मदद मिलेगी कि कौन सी जातियां सामाजिक और आर्थिक तौर पर ज्यादा पिछड़ी हुई हैं. इस आधार पर सरकार फैसला ले सकती है. पिछले दिनों बिहार में भी जातीय जनगणना की रिपोर्ट पेश करने के साथ सीएम नीतीश कुमार ने आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था जो पास भी कर दिया गया था.

भारत में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित है. 1992 में सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में यह स्पष्ट किया गया था कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इसके पीछे संविधान के अनुच्छेद 14 यानी समानता के आधिकार और अनुच्छेद- 16 नियुक्त एवं सेवा की समानता का तर्क दिया गया था.इसके बावजूद कई राज्यों ने आरक्षण में फेरबदल किया है.

देश में अभी नौकरियों में आरक्षण की क्या व्यवस्था है?

केंद्र सरकार की नौकरियों में संविधान के मुताबिक अब तक 49.5% आरक्षण दिया जा रहा है. इसमें अनुसूचित जाति यानी एससी के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जाति ST के लिए 7.5% और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा 27 प्रतिशत निर्धारित है. इसके अलावा सरकार ने 2019 में संविधान में 103 वां संशोधन कर 10% आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी EWS को और दिया था. यह 10% आरक्षण सामान्य वर्ग के उन गरीबों को मिलता है जिनकी आय 8 लाख रुपये सालाना से कम है.

अन्य राज्यों में ये है व्यवस्था

  • तमिलनाडु: दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में 1993 से सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 69% आरक्षण लागू है. इसमें 30 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 20 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग, 18% अनुसूचित जाति और 1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है.
  • बिहार: बिहार में जातीय जनगणना के बाद आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया था.इनमें अनुसूचित जाति के लिए 20 प्रतिशत, अनुसूचित जन जाति के लिए 2 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 18 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 25 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है.
  • छत्तीसगढ़: राज्य में आरक्षण की कुल सीमा 69 प्रतिशत है.इनमें अनुसूचित जाति के लिए 13 प्रतिशत, अनुसूचित जन जाति के लिए 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है.
  • झारखंड: झारखंड में आरक्षण की सीमा 60 प्रतिशत है, इनमें अनुसूचित जाति के लिए 26 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिए 10 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की सीमा निर्धारित है. नवंबर 2022 में सरकार ने इसे बढ़ाकर 77 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन राज्यपाल की मंजूरी न मिलने की वजह से इसमें बदलाव नहीं हो सका.
  • हरियाणा : हरियाणा में 58 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है. इनमें 20 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जाति के लिए है, जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए 1 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है. 27 प्रतिशत आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग को दिया जा रहा है, जबकि 10 प्रतिशत आरक्षण EWS के लिए है.