ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग देने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी ने सेना में जाने के लिए पीएचडी और शिक्षण करियर को भी छोड़ दिया था. जब बुधवार सुबह कर्नल सोफिया को ब्रीफिंग करते परिवार ने देखा तो सभी खुशी से झूम उठे. मूल रूप से वड़ोदरा शहर की रहने वाली कर्नल सोफिया के माता पिता और भाई मोहम्मद संजय कुरैशी शहर के तंदलजा इलाके में रहते हैं.
संजय ने पीटीआई से बातचीत में बताया कि उनकी बहन को दादा और पिता से प्रेरणा मिली जो सेना में ही थे. उन्होंने कहा कि देशभक्ति हमारे खून हैं.उनके साथ पिता ताजुद्दीन कुरैशी, मां हनीमा और बेटी जारा भी थी. कर्नल सोफिया के पिता ताजुद्दीन कुरैशी ने कहा कि उनके परिवार को केवल देश की फिक्र है.
हम भारतीय पहले मुसलमान बाद में
कर्नल सोफिया के पिता ताजुद्दीन ने कहा कि ‘मुझे अपनी बेटी पर गर्व है. मेरा परिवार हमेशा वयं राष्ट्रे जागृयाम (हम राष्ट्र को जीवंत और जागृत बनाए रखेंगे) के सिद्धांत का पालन करता आया है. हम पहले भारतीय हैं और बाद में मुसलमान. हमें सिर्फ़ अपने देश की फिक्र है.
विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं कर्नल सोफिया
संजय ने बताया कि स्कूल खत्म करने के बाद सोफिया ने वडोदरा में एम एस यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री में बीएससी और फिर एमएससी किया, क्योंकि वह प्रोफेसर बनना चाहती थी. इसके बाद सहायक व्याख्याता के रूप में विश्वविद्यालय से जुड़ी और साथ ही उसी विषय में पीएचडी भी की, क्योंकि वह प्रोफेसर बनना चाहती थी. इस बीच शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के जरिए भारतीय सेना में चयन हो गया ओर उन्होंने पीएचडी और शिक्षण करियर छोड़ने का फैसला लिया.
कर्नल सोफिया ने की थी ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की थी. विदेश सचिव विक्रम मिसरी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ कर्नल सोफिया ने प्रेस ब्रीफिंग में इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी थी.उन्होंने पाकिस्तान के उन सभी ठिकानों के विवरण जारी किए थे, जहां स्ट्राइक की गई थी.
1997 में किया था मास्टर्स
गुजरात सरकार ने एक विज्ञप्ति में कहा कि कर्नल सोफिया ने 1997 में मास्टर्स किया और फिर सेना की सिग्नल कोर में शामिल हो गईं थीं. सोफिया के पति भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में अधिकारी हैं. विज्ञप्ति में बताया गया कि वर्ष 2016 में कर्नल सोफिया ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब वह विदेश में भारतीय सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं थी. वह फोर्स 18 में भाग लेने वाले 18 देशों में एकमात्र महिला कमांडर बनीं, जो आसियान प्लस देशों का एक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास है.