Kerala SSLC Result 2025: शिक्षा में केरल क्यों है देश का टॉप राज्य? 10वीं के ये नतीजे हैं उसका सबूत

केरल बोर्ड ऑफ पब्लिक एग्जामिनेशन यानी केबीपीई (KBPE) ने 9 मई 2025 को सेकेंडरी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएसएलसी) यानी कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट घोषित किए थे. परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट्स result.kite.kerala.gov.in और result.kerala.gov.in पर अपना रिजल्ट देख सकते हैं और मार्कशीट डाउनलोड कर सकते हैं.

इस बार परीक्षा में कुल 4,27,020 छात्र शामिल हुए थे, जिसमें से 4,24,583 छात्र पास हुए यानी इस साल 10वीं का पासिंग प्रतिशत 99.5 फीसदी रहा. कन्नूर जिला 99.87 फीसदी पासिंग प्रतिशत के साथ टॉप पर रहा, जबकि तिरुवनंतपुरम सबसे कम 98.59 फीसदी पासिंग प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रहा. इतना ही नहीं, केरल के कुल 2,331 स्कूलों ने 10वीं में शत-प्रतिशत यानी 100 फीसदी पासिंग प्रतिशत हासिल किया है.

केरल 10वीं बोर्ड के कुल 61,449 छात्रों ने सभी विषयों में A+ ग्रेड हासिल किया है. वहीं, राज्य के सभी जिलों में मलप्पुरम में सबसे अधिक छात्र रजिस्टर्ड हुए थे, जबकि कुट्टनाड में केरल एसएसएलसी परीक्षा 2025 के लिए सबसे कम छात्रों की उपस्थिति दर्ज की गई.

5 साल के पासिंग प्रतिशत

अगर इस साल को मिलाकर पिछले 5 सालों के रिजल्ट की बात करें तो केरल बोर्ड 10वीं का रिजल्ट हमेशा 99 प्रतिशत से ज्यादा रहा है. पिछले साल यानी 2024 में पासिंग प्रतिशत 99.69 फीसदी, तो 2023 में पासिंग प्रतिशत 99.70 फीसदी, 2022 में पासिंग प्रतिशत 99.26 फीसदी और 2021 में पासिंग प्रतिशत 99.47 फीसदी रहा था. हालांकि 2020 में पासिंग प्रतिशत थोड़ा कम हुआ था. तब 98.82 प्रतिशत छात्र ही परीक्षा पास कर पाए थे. पासिंग प्रतिशत के ये आंकड़ें बताते हैं कि यूं ही केरल को शिक्षा के मामले में टॉप राज्य नहीं कहा जाता है बल्कि वो हर साल ऐसा करके दिखाता है.

केरल में कितना है न्यूनतम पासिंग मार्क्स?

देश के बाकी राज्यों की तरह केरल में भी न्यूनतम पासिंग मार्क्स 33 प्रतिशत है यानी परीक्षा पास करने के लिए छात्रों को प्रत्येक विषय के साथ-साथ ओवरऑल भी कम से कम 33 प्रतिशत अंक हासिल करने होते हैं. हालांकि जो छात्र एक या एक से अधिक विषयों में पास नहीं हो पाते हैं, उन्हें कंपार्टमेंट परीक्षाओं के माध्यम से अपने अंक सुधारने का मौका मिलता है, जिन्हें आमतौर पर बोर्ड द्वारा आयोजित ‘सेव ए ईयर’ परीक्षा कहा जाता है. इससे छात्रों को एक शैक्षणिक वर्ष बर्बाद होने से बचाने में मदद मिलती है.

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