आखिर कौन होते हैं DGMO? भारत-पाक तनाव के बीच क्यों हैं चर्चा में

भारत पाकिस्तान के बीच पिछले कुछ दिनों से लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है और ऐसी स्थिति में शनिवार शाम को खबर सामने आई है कि भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ ने बात करके सीज फायर पर सहमति जताई है. इस खबर के सामने आने के बाद कई लोगों के जेहन में सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर डीजीएमओ कौन होते हैं? तो चलिए इस खबर में इस सवाल का और इससे संबंधित दूसरे सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं.

DGMO यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस का पद होता है. यह पद सेना में बेहद अहम होता है क्योंकि जो इस पद पर होता है उसे ही मिलिट्री के सारे ऑपरेशन्स को देखना होता है. साथ ही इन्हें अलग-अलग जगहों पर सेना की तैनाती, तैयारी की देख-रेख करनी होती है. DGMO सेना में सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल 3 स्टार रैंक के अधिकारी होते हैं जो बड़े ऑपरेशंस की प्लानिंग और देखरेख करते हैं. DGMO ही आर्मी चीफ को रिपोर्ट करते हैं और सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल बैठाते हैं.

क्या होता है DGMO का काम

भारतीय सेना में DGMO का सबसे महत्वपूर्ण काम रणनीतियां बनाना होता है. फिर चाहे स्थिति युद्ध की हो, आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन की या फिर शांति मिशनों की. इतना ही नहीं DGMO पर ही एलओसी पर गोलीबारी रुकवाना और जितना हो सके तनाव को कम करना होता है. ऑपरेशन सिंदूर में भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान दोनों सेनाओं के DGMO ने आपस में बात की और सीजफायर पर सहमति बनी.

सेना में कैसे बनते हैं DGMO

बता दें कि सेना में DGMO बनने के लिए कोई अलग से टेस्ट या भर्ती नहीं होती है. DGMO बनना बहुत मुश्किल टास्क है. इस पद पर जो भी पहुंचता है उसके लिए एक्सपीरियंस और अव्वल दर्जे की कैपिबिलिटी चाहिए होती है. भारतीय सेना में यह पद सिर्फ लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अफसर को ही दिया जाता है. इस पद के लिए एनडीए या फिर एनडीसी से ट्रेनिंग भी जरूरी है. भारत में DGMO के पद पर सिलेक्शन आर्मी चीफ और रक्षा मंत्रालय मिलकर करते हैं.