हम किसी को बाध्य नहीं कर सकते.. तमिलनाडु, केरल और वेस्ट बंगाल में NEP लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल की सरकारों को त्रिभाषा नीति के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के निर्देश देने की याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने कहा कि अदालत सरकारों को यह निर्देश जारी नहीं कर सकती.

खंडपीठ ने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 32 के माध्यम से नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी कर सकता है. मगर किसी राज्य को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जैसी नीति अपनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.

अधिकारों का उल्लंघन तो करेंगे हस्तक्षेप

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित किसी राज्य की कार्रवाई या निष्क्रियता किसी मौलिक अधिकार या किसी अन्य कानूनी अधिकार का उल्लंघन करती है, तो अदालत हस्तक्षेप कर सकती है. हम संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर इस रिट याचिका में इस मुद्दे की पड़ताल करने का प्रस्ताव नहीं रखते .

याचिकाकर्ता का इससे कोई लेना देना नहीं

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता का उस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है जिसका वह समर्थन करना चाहता है. पीठ ने कहा, हालांकि याचिकर्ता तमिलनाडु राज्य से हो सकता है, फिर भी, उसकी स्वयं की स्वीकारोक्ति के अनुसार, वह अब नयी दिल्ली में रह रहा है. मुख्य मुद्दे की पड़ताल इस अदालत द्वारा उचित कार्यवाही में की जा सकती है, लेकिन कम से कम इस विशेष याचिका में नहीं. शीर्ष अदालत अधिवक्ता जीएस मणि द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

क्या कहता है अनुच्छेद 32

संविधान का अनुच्छेद 32 हर व्यक्ति को अपने मौलिक अधिकारों के लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है.इसका अर्थ ये है कि अगर किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.