यूपी में आधी भी नहीं भर रहीं पॉलीटेक्निक कॉलेजों की सीटें, ये है वजह

देश को कई काबिल इंजीनियर देने वाले पॉलीटेक्निक कोर्सों से छात्र अब दूरी बना रहे हैं. अकेले यूपी में ही हर साल छात्रों के एडमिशन में गिरावट आ रही है. हाल ये है कि पिछले साल ही तकरीबन 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटें खाली रह गईं थीं. इस पर कॉलेजों को अच्छे एडमिशन की उम्मीद है, हालांकि छात्रों के भंग हो रहे मोह को देखते हुए ऐसा नजर नहीं आ रहा.

तकनीकी शिक्षा से छात्रों का मोह भंग हो रहा है. तीन साल तक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में पढ़ाई के बाद नौकरी न मिलना इसकी सबसे बड़ी वजह है, जिन छात्रों को नौकरी मिल भी जा रही है, उन्हें इंडस्ट्री के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा है. सरकारी नौकरी में मौके तो न के बराबर ही हैं. ऐसे में छात्र पॉलीटेक्निक कॉलेजों में प्रवेश लेने से कतरा रहे हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े

अगर आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में 2024 में महज 1.15 लाख छात्रों ने ही पॉलीटेक्निक कॉलेजों में प्रवेश लिया था, जबकि प्रदेश में सीटों की बात करें तो इनकी संख्या तकरीबन 2 लाख 70 हजार के आसपास है. इसी तरह 2023 में तो महज 89 हजार दाखिले ही हुए थे, जबकि सीटों की संख्या तकरीबन उतनी ही है. अगर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के राजकीय पॉलीटेक्निक की बात करें तो यहां हर साल 1200 से ज्यादा छात्र पढ़ाई करते हैं, मगर इनमें से तकरीबन 500 छात्रों को ही नौकरी मिल पा रही है. इनमें भी ज्यादातर युवा इसलिए नौकरी छोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें सही वेतन नहीं मिलता.

पॉलीटेक्निक सीटें और दाखिले

वर्ष सीटें दाखिले
2024 270785 115444
2023 300963 89340
2022 248388 134266
2021 235500 131618
2020 239155 124529

रोजगार परक शिक्षा पर फोकस

पॉलीटेक्निक कॉलेजों में लगातार सीटें खाली रह रही हैं, हालांकि प्राविधिक शिक्षा परिषद के संयुक्त निदेशक विजय पाल सिंह ने एक मीडिया संस्थान से बातचीत में बताया कि पॉलीटेक्निक पाठ्यक्रमों में बदलाव किया जा रहा है. इन्हें रोजगार परक बनाने की कोशिश की जा रही है. इनमें कौशल शिक्षा के साथ तकनीकी और व्यावहारिक पाठ्यक्रमों पर भी फोकस किया जा रहा है.