ऑपरेशन सिंदूर के बाद वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम जारी हैं, लेकिन भारत की तरफ से तुर्किए को झटके देने का दौर अभी भी जारी है. इस कड़ी में नया नाम ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी का जुड़ा है. जिसने ऑपरेशन सिंदूर के तहत हुई कार्रवाई के बाद 4 दिन चले भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्किए के साथ अपने शैक्षणिक संबंध खत्म करने का फैसला लिया है.
इन दो यूनिवर्सिटी के साथ तोड़ा करार
ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी ने तुर्किए की इस्तांबुल आयदिन यूनिवर्सिटी (Istanbul Aydın University) और हसन कल्योनकू यूनिवर्सिटी (Hasan Kalyoncu University) के साथ अपने शैक्षणिक संबंध खत्म करने का फैसला लिया है. शारदा यूनिवर्सिटी ने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन करते हुए भारतीय सेना के साथ एकजुटता दिखाते हुए ये फैसला लिया है.
तुर्किए की दोनों यूनिवर्सिटी के साथ करार खत्म करने को लेकर शारदा यूनिवर्सिटी में डायरेक्टर पीआर ने बताया कि आयदिन यूनिवर्सिटी के साथ वर्ष 2017 और हसन कल्योनकू यूनिवर्सिटी के साथ ही साथ वर्ष 2019 से शारदा यूनिवर्सिटी का शैक्षणिक संबंध था. जिसे तुरंत प्रभाव निरस्त कर दिया गया है और उन्हें आधिकारिक तौर पर सूचित कर दिया गया है.
पाकिस्तान का सहयोगी हमारा सहयोगी नहीं
शारदा यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर पीआर ने कहा कि तुर्किए की दोनों यूनिवर्सिटी के साथ हमने समझौते ज्ञापन में हस्ताक्षर किए गए थे, जो दोनों देशों के संस्थानों के बीच रिसर्च में सहयोग और छात्र एवं फैकल्टी अदान-प्रदान को लेकर एक समझौता था. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किए ने पाकिस्तान के प्रति अपना रूझान दिखाया, वह भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खुले तौर पर शत्रुतापूर्ण है.
उन्होंने जोर देकर कहा हमारा दृढ़ विश्वास है कि पाकिस्तान के रणनीतिक सहयोगी के साथ प्रत्यक्ष या मौन रूप से जुड़े किसी संस्थान को विश्वसनीय अकादमिक सहयोगी नहीं माना जा सकता. जो राष्ट्र भारत की अखंडता के विरोधियों के साथ खड़ा है, वह हमारे लिए भरोसेमंद साझेदार नहीं हो सकता.
जेएनयू और जामिया भी दे चुके हैं तुर्किए को झटका
शारदा यूनिवर्सिटी से पहले कानपुर यूनिवर्सिटी, जेएनयू और जामिया भी तुर्किए को झटका दे चुके हैं. जेएनयू ने सबसे पहले तुर्किए की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ करार खत्म किया था. जेएनयू ने राष्ट्र के प्रति एकजुटता दिखाते हुए ये फैसला लिया था. इस संबंध में कुलपति ने कहा था कि जेएनयू का प्रत्येक छात्र और फैकल्टी सेना के साथ खड़ा है.
ये भी पढ़ें-NEET UG 2025 Answer Key: नीट यूजी 2025 आंसर-की कहां और कैसे कर सकते हैं डाउनलोड? जानें पूरा प्रोसेस