नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत देश में एक बार फिर से 4 वर्षीय ग्रेजुएशन की वापसी हुई है. इस बार 4 वर्षीय ग्रेजुएशन में कई बदलाव किए हैं, जिसे छात्रों के लिए बेहतर माना जा रहा है. इसे देखते हुए देश की कई यूनिवर्सिटी ने 4 वर्षीय ग्रेजुएशन को लागू भी कर दिया है. इसी कड़ी में अब, जब शैक्षणिक सत्र 2025-26 में दाखिला के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है. तो ऐसे में आज विस्तार से बात करते हैं 4 वर्षीय ग्रेजुएशन के बारे में. साथ ही समझेंगे कि क्यों इसे छात्रों के करियर के लिए शानदार बताया जाता है.
क्या है 4 वर्षीय ग्रेजुएशन
अभी से पूर्व तक तक देशभर में 12वीं के बाद ग्रेजुएशन की डिग्री 3 साल में पूरी होती है. कुल जमा छात्रों को 3 साल में आयोजित ग्रेजुशन प्रोग्राम की विभिन्न परीक्षाएं पास करनी होती हैं. इसके बाद ही उन्हें ग्रेजुएशन की डिग्री मिलती है. अब नई शिक्षा नीति के तहत ग्रेजुएशन की डिग्री 4 साल में देने का प्रावधान किया गया है. जिसके तहत छात्रों को ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी. वहीं बेशक नई शिक्षा नीति 2020 के तहत ग्रेजुएशन को 4 साल का कर दिया गया है, लेकिन इसमें ऐसी कई व्यवस्थाएं की गई हैं कि छात्रों को कई तरह से फायदे होंगे.
बीच में भी छोड़ी पढ़ाई तो खराब नहीं होगा साल
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत 4 वर्षीय ग्रेजुशन हो गया है. इसमें ग्रेजुएशन पूरा करने के लिए एक साल बढ़ गया है, लेकिन इसमें विशेष ये है कि अगर किसी छात्र को मजबूरी या किसी कारणवश अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है तो भी उसका साल खराब नहीं होगा. उसे अपनी पढ़ाई का मेहनताना दस्तावेज के तौर पर जरूर मिलेगा. जबकि बाद में जब भी छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने में समर्थ है, वह बीच में छोड़ी पढ़ाई को पूरा कर 4 साल में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त कर सकता है.
एक साल में सर्टिफिकेट, दो साल में डिप्लोमा
जैसा की आपने पढ़ा कि अगर छात्र किसी मजबूरी में अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ता है तो भी उसे दस्तावेज के तौर पर मेहनताना जरूर मिलेगा. इसकी व्यवस्था 4 वर्षीय ग्रेजुएशन प्रोग्राम में नई शिक्षा नीति के तहत की गई है, जिसके तहत अगर कोई छात्र 4 वर्षीय ग्रेजुएशन प्रोग्राम में दाखिला लेता है और वह एक साल में ही पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे संबंधित विषय से जुड़ा हुआ सर्टिफिकेट दिया जाएगा. इसी तरह दो साल पूरा करने पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों को डिप्लोमा दिया जाएगा. पढ़ाई वापिस पूरी करने पर ये ही सर्टिफिकेट और डिप्लोमा 4 साल के ऑनर्स डिग्री में बदल दिए जाएंगे.
4 साल से पहले भी पूरा कर सकते हैं ग्रेजुशन
बेशक नई शिक्षा नीति 2020 में ग्रेजुएशन को 4 साल का कर दिया गया है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि छात्रों को 4 साल में ही ग्रेजुएशन की डिग्री मिलेगी. अगर छात्र चाहें तो इससे पहले भी अपना ग्रेजुएशन पूरा कर सकते हैं. इसकी घोषणा बीते साल यूजीसी के तत्कालीन चैयरमैन एम जगदीश कुमार ने की थी. जिसके तहत छात्र 4 साल से छह महीने पहले तक अपनी डिग्री पूरी कर सकते है. जिसे इसी सत्र से लागू किए जाने की तैयारी है.
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