Exam में सिलेबस से बाहर का सवाल! सिर्फ शोर या हकीकत कुछ और… जानिए कब-कब ऐसा हुआ?

प्रतियोगी परीक्षाओं में आजकल आउट ऑफ सिलेबस सवाल आना आम हो चला है. NEET, JEE, CUET समेत अनेक परीक्षाओं में अक्सर यह मसला उछल कर सामने आ जाता है. चूंकि बात स्टूडेंट्स से जुड़ी होती है तो अनेक बार सिस्टम शोर सुनकर भी अनसुना कर देता है. खास बात यह भी है कि ऐसी स्थिति की जिम्मेदारी परीक्षा कराने वाली संस्था भी कई बार नहीं लेती.

वर्तमान में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी देश में अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जिम्मेदार है. उसकी अपनी मुश्किलें हैं. स्टूडेंट्स के शोर पर वह न तो कोई परीक्षा रद कर सकती है और न ही कोई बदलाव करती है. दरअसल NEET, JEE, CUET समेत ऐसे समयवद्ध हैं, जहां कैलेण्डर बिगड़ने पर पूरा का पूरा सिस्टम पीछे चला जाएगा. एडमिशन, पढ़ाई सब की बैंड बजनी तय है. क्योंकि एजेंसी को हर साल अनेक परीक्षाएं करानी होती हैं तो एक परीक्षा खत्म करवाकर वह दूसरी की तैयारी में लग जाती है. एन्ट्रेंस एग्जाम के केस में तो कई परीक्षाएं कुछ दिनों के अंतराल में ही होती है.

आउट ऑफ सिलेबस का शोर ज्यादा, सच कुछ और

कई विश्वविद्यालयों के कुलपति रहे प्रमुख शिक्षाविद प्रोफेसर अशोक कुमार कहते हैं कि असल में आउट ऑफ सिलेबस का शोर ज्यादा होता है, असलियत कुछ और है. वे बताते हैं कि केवल सवाल पूछने के तरीके बदल जाने मात्र से बच्चे घबरा जाते हैं. उन्हें लगता है कि अमुक सवाल आउट ऑफ सिलेबस है. इसका एक पूरा प्रॉसेस है. सिलेबस की जानकारी बच्चों को भी देने की व्यवस्था है और पेपर बनाने वालों को भी.

असल में होता यह है कि ऐसे किसी भी एग्जाम में पहले से तय है कि करीब 50-60 फीसदी सवाल ऐसे तैयार किये जाएंगे जो कोई भी बच्चा आसानी से कर ले. 10 फीसदी सवाल ऐसे होते हैं, जो अपेक्षाकृत कठिन दिए जाते हैं, इसी में सवाल घुमाकर भी पूछे जाने की व्यवस्था है. बाकी सवाल थोड़ा कठिन होते हैं. चयन का आधार असल में यही 10 फीसदी सवाल बनते हैं. प्रो. कुमार कहते हैं कि आउट ऑफ सिलेबस सवाल पूछना सिर्फ अपवाद ही होता है लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में शोर बहुत जल्दी से हो जाता है.

कब-कब हुए विवाद, क्या निकला समाधान

  • साल 2018: तमिल माध्यम के NEET छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें आउट ऑफ सिलेबस सवालों का सामना करना पड़ा. उनके प्रश्न पत्र में अंग्रेजी से अनुवाद में गड़बड़ी भी प्रकाश में आई. छात्र कोर्ट गए. कुछ को दोबारा परीक्षा की अनुमति मिली.
  • साल 2020: NEET परीक्षा में स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि बायोलॉजी सेक्शन में आउट ऑफ सिलेबस सवाल पूछे गए. एनटीए ने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया था. छात्रों में एक अलग लेवल का गुस्सा था जो समय के साथ शांत हो गया.
  • साल 2023: NEET में फिजिक्स और केमिस्ट्री में भी आउट ऑफ सिलेबस का मुद्दा उठा था. कहा गया कि ये सवाल एनसीइआरटी की बुक में नहीं थे. अपेक्षाकृत सवालों का स्तर भी कठिन थे.
  • साल 2015: JEE Advanced का किस्सा है. गणित और फिजिक्स के कुछ सवाल सिलेबस के बाहर के माने गए. अपेक्षाकृत कठिन भी थे. स्टूडेंट्स ने शोर किया तो ये सवाल हटाए गए और उन पर सभी को बराबर अंक दिए गए.
  • साल 2021: JEE Mains जनवरी सेशन का मामला है. स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस पूछे गए लेकिन एजेंसी ने कुछ नहीं किया. कोचिंग संस्थानों ने इस मुद्दे को ठीक से उठाया था.
  • साल 2022: CUET पहली बार हो रही थी. स्टूडेंट्स ने कहा कि उन्हें आउट ऑफ सिलेबस प्रश्नों का सामना करना पड़ा. साल 2023 में इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल आदि विषयों के सवाल भी आउट ऑफ सिलेबस होने की आवाज स्टूडेंट्स ने उठाई. इस पर भी जिम्मेदारी संस्थाओं ने कोई जवाब नहीं दिया था.

सवाल को चैलेंज करने की सुविधा, मगर प्रक्रिया कठिन

NEET, JEE, CUET जैसी परीक्षाएं कराने की जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की होती है. आमतौर पर स्टूडेंट्स की ओर आउट ऑफ सिलेबस की बात जब भी उठी तो एजेंसी कह देती है कि प्रश्न-पत्र विशेषज्ञ पैनल ने बनाए हैं. हालाँकि, सवालों को चैलेंज करने की सुविधा है लेकिन यह प्रक्रिया इतनी जटिल है कि स्टूडेंट्स बेहद कम रुचि लेते हैं.

छोटी-छोटी बातों को लेकर भी कोर्ट पहुंचे छात्र

कई बार बहुत छोटी-छोटी शिकायतें लेकर भी स्टूडेंट्स कोर्ट पहुंच जाते हैं. गंभीर मामलों को तो अदालतें सुनती हैं लेकिन कई बार स्टूडेंट्स के मामलों को खारिज होते देखा गया है. पिछले साल नीट-यूजी मेरिट का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुँचा तो अदालत ने सुनवाई भी की. फैसला भी सुनाया. साल 2024 में एक स्टूडेंट दिल्ली हाईकोर्ट पहुँचा. उसका दावा था कि नीट-यूजी में दो सवाल सिलेबस से बाहर के थे. हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा वह विषय विशेषज्ञों के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेगा.

इसी साल नीट-यूजी एग्जाम के दौरान तमिलनाडु के एक परीक्षा केंद्र पर बिजली जाने की वजह से बाधा पहुंची. 13 छात्र मद्रास हाईकोर्ट पहुंच गए. अदालत ने स्टूडेंट्स की शिकायतों का निस्तारण करने तक परिणाम घोषित करने पर रोक का आदेश दिया. इस तरह JEE और CUET को लेकर भी स्टूडेंट्स ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. कई बार उन्हें राहत मिली और कई बार शिकायत को हल्का मानते हुए अदालत ने सुनने से इनकार किया.