JNU में CUET से दाखिला को लेकर घमासान, छात्रसंघ ने किया जनमत संग्रह कराने का ऐलान

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) प्रशासन और छात्रसंघ एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. ताजा मामला जेएनयू में दाखिला प्रक्रिया को लेकर है. जिसमें जेएनयू छात्र संघ दाखिला के लिए पूर्व में लागू की गई नई व्यवस्था को खारिज करने की मांग कर रहा है. इसके साथ ही जेएनयू छात्र संघ ने जेएनयू छात्र संघ ने दाखिला की पुरानी व्यवस्था फिर से बहाल करने की मांग की है. अपनी इन मांगों के साथ जेएनयू छात्र संघ अब जनमत संग्रह करेगा.

जेएनयू में CUET से दाखिला

जेएनयू में बीते दो सालों से दाखिला की नई व्यवस्था लागू की गई है. जिसके तहत जेएनयू के सभी यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों में दाखिला नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की तरफ से आयोजित कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) की मेरिट के आधार पर होता है. हालांकि जेएनयू दाखिला के लिए आवदेन प्रक्रिया आयोजित करता है, लेकिन दाखिला के लिए CUET की मेरिट को आधार माना जाता है.

दाखिला की पुरानी व्यवस्था क्या है

जेएनयू के ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिला के लिए CUET आधारित व्यवस्था लागू होने से पहले प्रवेश परीक्षा से दाखिला होता था. ये प्रवेश परीक्षा जेएनयू प्रशासन की तरफ से आयोजित होती थी. जिसकी मेरिट के आधार पर दाखिला होता था. पुरानी व्यवस्था में प्रश्न पत्र भी यूनिवर्सिटी के शिक्षक तैयार करते थे.

शनिवार को जनमत संग्रह

जेएनयू छात्रसंघ ने यूनिवर्सिटी में दाखिला के लिए पुरानी व्यवस्था यानी यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा आधारित व्यवस्था लागू कराने की मांग को लेकर शनिवार 24 मई को जनमत संग्रह कराने का ऐलान किया है. जिसके तहत यूनिवर्सिटी के छात्रों को ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों में दाखिला के लिए एनटीए या यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा में से एक का चयन करना होगा.

जनमत संग्रह के लिए शनिवार शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक समय तय किया गया है. हालांकि जनमत संग्रह के नतीजे कब जारी किए जाएंगे. इसको लेकर अभी जानकारी सामने नहीं आई है. जेएनयू छात्र संघ का कहना है कि एनटीए की तरफ से आयोजित प्रवेश परीक्षा से दाखिला व्यवस्था जेएनयू के मेंडेंट के खिलाफ है. जेएनयू में बड़ी संख्या में आदिवासी, पिछड़े वर्ग और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र पढ़ते हैं, जो एनटीए प्रवेश परीक्षा के मकड़जाल में उलझ जाते हैं. जबकि जेएनयू प्रवेश परीक्षा में आदिवासी, पिछड़े वर्ग और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को प्राथमिकता मिले, इस बात का ध्यान रखा जाता था.

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