सुप्रीम कोर्ट के एक ताजे आदेश के बाद देश में एक नए सवाल ने जन्म ले लिया है. सवाल यह है कि अगर NEET PG का एग्जाम एक शिफ्ट में हो सकता है तो अन्य परीक्षाओं में यह सुविधा क्यों नहीं दी जा सकती? सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में परीक्षा कराने वाली बॉडी नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन से कहा है कि वे आगामी 15 जून को तय NEET PG की परीक्षा एक ही शिफ्ट में कराएं. इसके लिए जो भी जरूरी इंतजामात करने हैं, बोर्ड उसे पूरा करे. ऐसा करने से परीक्षा की शुचिता भी बनी रहेगी और किसी को बातें बनाने का मौका नहीं मिलेगा. दो शिफ्ट में परीक्षा की घोषणा के बाद कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे.
जैसे ही यह खबर आई बहस इस मुद्दे पर शुरू हो गई कि जब NEET PG एक शिफ्ट में हो सकती है तो NEET UG, JEE Mains, JEE Advanced, CUET समेत अन्य परीक्षाएं क्यों नहीं हो सकतीं? सामान्य दशा में इन सवालों का जवाब यह है कि इन सभी परीक्षाओं में कई-कई विषय हैं. अगर उदाहरण के लिए CUET को ले लें तो यह यूजीसी की एक ऐसी परीक्षा है, जो किसी भी ब्रांच में एडमिशन की अहर्ता देती है. यही एग्जाम देकर कोई युवा बीए में एडमिशन लेता है तो बीकॉम, बीएससी में भी एडमिशन पाता है. बीए, बीएससी में मल्टीपल सब्जेक्ट्स हैं. युवा अपनी रुचि के हिसाब से सब्जेक्ट्स चुनता है. इसी वजह से यह परीक्षा कई दिन तक चलती हुई आ रही है. अब इसे अगर एक शिफ्ट में करना हो तो केवल सामान्य ज्ञान, सामान्य गणित आदि का एग्जाम लेकर काम चलाना पड़ेगा. विषय की रुचि पता करना मुश्किल होगा.
हर एग्जाम का है अलग-अलग मिजाज
NEET UG में भी फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषय के सवाल स्टूडेंट्स के सामने आते हैं. JEE Mains में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स से सवाल पूछे जाते हैं. JEE Advanced में सवालों का स्तर थोड़ा कठिन कर दिया जाता है. अगर सभी एग्जाम एक ही शिफ्ट में किए जाएंगे तो परिणाम बहुत जेनेरिक आ सकते हैं. क्योंकि सामान्य दशा में हमारे देश में तीन घंटे में एग्जाम लिए जाने की परंपरा है. यद्यपि NEET PG का एग्जाम 3.30 घंटे का आज भी तय है. अभी स्टूडेंट्स के सामने कुछ कठिन, कुछ औसत और कुछ आसान सवालों के सेट उपलब्ध कराए जाते हैं. लेकिन अगर सरकार फैसला कर ले तो सभी सब्जेक्ट्स को मिलाकर एक शिफ्ट में एग्जाम बिल्कुल हो सकता है.
खानापूर्ति होंगे एक शिफ्ट के एग्जाम
कई विश्वविद्यालयों के कुलपति रहे प्रो अशोक कुमार कहते हैं कि अगर सरकार ऐसा कोई फैसला लेती है तो सभी एग्जाम एक ही शिफ्ट में कराया जाए तो यह सिर्फ खाना पूर्ति मात्र का एग्जाम रह जाएगा. क्योंकि हर परीक्षा की अपनी अलग शुचिता है. गरिमा है. कठिनाई का स्तर है. जब कई सब्जेक्ट्स के सवाल एक ही प्रश्न पत्र में पूछे जाएंगे तो स्वाभाविक है कि गुणवत्ता से समझौता करना पड़ेगा, जो देश के युवाओं के हित में नहीं है. NEET PG के बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला देखना होगा कि सर्वोच्च अदालत ने ऐसा आदेश क्यों दिया? जब तक पूरा फैसला पढ़ न लिया जाए तब तक कोई टिप्पणी अनुचित मानी जाएगी.
स्वागत योग्य है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
वे कहते हैं कि जहाँ तक रही बात NEET PG के एक शिफ्ट में एग्जाम के तो यह बाकी सभी एग्जाम से अलग है. इसमें एक मेच्योर डॉक्टर एग्जाम देने आते हैं. बाकी सभी परीक्षाओं में इंटर पास युवा आते हैं. NEET PG में दो सौ सवाल पूछे जाते हैं और इसके लिए 3.30 घंटे का समय दिया जाता है. मतलब लगभग हर सवाल पर सिर्फ एक मिनट. खुद कभी NEET PG से गुजर चुके डॉ देवशीष शुक्ल कहते हैं कि करीब दर्जन भर से ज़्यादा सब्जेक्ट से दो सौ सवाल पूछे जाते हैं. दो शिफ्ट में करने की बात शायद इसलिए होती है क्योंकि परीक्षा कराने वाली एजेंसी को सुविधा होती होगी. लेकिन इसी के साथ परीक्षा की शुचिता पर असर भी पड़ता हुआ कई बार देखा गया. सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है क्योंकि एक ही एक एग्जाम के लिए एक ही प्रश्नपत्र जब दो शिफ्ट में पूछे जाएंगे तो परिणाम में बहुत कुछ आगे-पीछे हो सकता है.
लगभग दो लाख से ज्यादा डॉक्टर देते हैं पीजी एग्जाम
NEET PG से एमडी, एमएस और पीजी डिप्लोमा में एडमिशन की व्यवस्था है.साल 2024 में 2.16 लाख डॉक्टर्स ने पीजी एग्जाम दिया था. साल 2025 का डाटा अभी बोर्ड ने जारी नहीं किया है. पूरे देश में पीजी की लगभग 44 हजार सीटें उपलब्ध हैं इनमें 26 हजार सरकारी कॉलेज में तथा बाकी निजी कॉलेज में हैं. मेडिकल प्रोफेशन के लिए यह एग्जाम अब नाक का सवाल बना हुआ है. स्पेशलाइजेशन का जमाना है. लोग कई-कई बार एग्जाम देकर पीजी में एडमिशन पाते हैं. जहाँ कंपटीशन इतना ज्यादा हो वहाँ परीक्षा में सुचिता जरूरी है.