जवाहर लाल नेहरू (JNU) में इन दिनों अमेरिका के नाम पर घमासान मचा हुआ है. ताजा मामला जेएनयू के एक सेंटर से जुड़ा हुआ है, जहां सेंटर के नाम में बदलाव करते हुए उसे अमेरिका केंद्रित कर दिया गया है. इस पर शिक्षकों ने जेएनयू प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शिक्षकाें ने जेएनयू प्रशासन पर अमेरिका को अधिक तवज्जो देने का आरोप लगाया है.
ये मामला तब सामने आया है, जब पिछले दिनों डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (USA) के 51वें राज्य के रूप में मान्यता देने की बात कह चुके हैं.
ईसी की बैठक में SIS के सेंटर का बदला नाम
जेएनयू कार्यकारी परिषद (EC) की बीते महीने बैठक आयोजित हुई थी. जिसमें जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशल स्टडी (SIS) के सेंटर फॉर कैनेडियन, यूएस एंड लैटिन अमेरिका स्टडी का नाम बदलकर सेंटर फॉर द स्टडी अमेरिका करने की आधिकारिक मंजूरी दी गई थी, जिसको लेकर बीते दिनों जेएनयू प्रशासन की तरफ से आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.
कनाडा और लैटिन अमेरिका की वैश्विक पहचान को खतरा!
जेएनयू प्रशासन की तरफ से सेंटर का नाम बदलकर उसे अमेरिका केंद्रित किए जाने का शिक्षक विरोध कर रहे हैं. शिक्षकों का कहना है कि इससे कनाडा और लैटिन अमेरिका की वैश्विक पहचान सीमित हाेगी. शिक्षकों का कहना है कि इससे सेंटर के फंड में कटौती होगी और अध्ययन का दायरा सीमित होगा, जबकि अमेरिका के उलट कनाडा और लैटिन अमेरिका की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान अलग-अलग है.
ट्रंप कर चुके हैं कनाड़ा को मिलाने का ऐलान
जेएनयू SIS के सेंटर का नाम अमेरिका पर केंद्रित किए जाने का ये मामला तब सामने आया है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की दोबारा शपथ लेने के कुछ दिनों बाद ही कनाडा को संयुक्त राज्य में शामिल करने की बात कही थी. उन्होंने कनाडा के राष्ट्रपति के सामने ही कनाडा को संयुक्त राज्य अमेरिका के 51वें राज्य के शामिल करने का प्रस्ताव दिया था. इसके बाद जेएनयू में सेंटर का नाम बदला गया है. माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति के प्रभाव में जेएनयू में सेंटर का नाम बदला गया है और अमेरिका को तवज्जो दी गई है.
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