गुजरात में मेडिकल पढ़ाई की फीस बढ़ोतरी पर विवाद, IMA ने की ये मांग

गुजरात में मेडिकल PG और डेंटल कोर्सों के लिए फीस बढ़ोतरी पर विवाद शुरू हो गया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सीएम को पत्र लिखकर इस फीस बढ़ोतरी को तत्काल वापस लेने की मांग की है, वहीं गुजरात विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी फीस बढ़ोतरी पर हंगामा किया. वह विवि के सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों की फीस बढ़ाए जाने पर गुस्साए थे.

गुजरात की फीस रेगुलेटरी कमेटी ने मेडिकल कॉलेजों की फीस में बढ़ोतरी कर दी है. यह फीस बढ़ोतरी 1 से 2.5 लाख रुपये तक की गई है. मसलन एनएचएल मेडिकल कॉलेज में फीस 2.75 लाख रुपये बढ़ाकर 25.63 लाख कर दी गई है, जबकि पारुल मेडिकल कॉलेज में फीस 1.40 लाख रुपये बढ़ाकर 20.90 लाख की गई है.

फीस बढ़ोतरी पर विवाद

मेडिकल कॉलेजों में फीस में भारी बढ़ोतरी पर विवाद शुरू हो गया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर फीस बढ़ोतरी की मांग को तत्काल वापस लेने की अपील की है. आईएमए के अनुसार, सालाना फीस में अचानक की गई बढ़ोतरी छात्रों और अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बन गई है. इस फीस बढ़ोतरी के कारण प्रतिभाशाली छात्र शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.

गुजरात विवि में फीस बढ़ने पर छात्र गुस्साए

वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विवि में 20 प्रतिशत तक फीस की बढ़ोतरी की गई है. इसे लेकर छात्रों में भारी आक्रोश है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भी इस विरोध प्रदर्शन में उतर आया है. बुधवार को भी छात्रों ने कुलपति कार्यालय के बाहर नारेबाजी की. उन्होंने फीस बढ़ोतरी से संबंधित आदेश की प्रति भी फाड़ी और उसके कुलपति पर फेंका.इसके अलावा कैंपस डेवलपमेंट फंड में बढ़ोतरी किए जाने पर भी एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया. कार्यकर्ताओं ने कुलपति कार्यालय के बाहर नारेबाजी की और सर्कुलर को फाड़कर कुलपति पर फेंका. विरोध के लिए नकली नोट भी फेंके गए. हंगामा होने पर विवि में पुलिस को तैनात करना पड़ा.विवि में सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों के अलावा कल्याण शुल्क, उपकरण, पुस्तकें, सुविधा शुल्क और कैंपस विकास निधि में भी बढ़ोतरी की गई है.एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने फीस बढ़ोतरी वापस न लेने पर उग्र आंदोलन करने की धमकी दी है.

IMA सदस्यों से एकजुट रहने की अपील

एफआरसी की ओर से निजी मेडिकल सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों की फीस बढ़ाए जाने पर आईएमए ने सीएम को पत्र लिखकर फीस बढ़ोतरी को तत्काल वापस लेने की मांग की है.IMA अध्यक्ष ने सदस्यों से एकजुट रहने की मांग की है. IMA अध्यक्ष ने कहा है कि इस फीस बढ़ोतरी से गरीब और मिडिल क्लास के छात्रों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा. IMA अध्यक्ष का कहना है कि एक तरफ तो सरकार ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की बात र रही है तो दूसरी तरफ यह कदम शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहा है. इसके अलावा आईएमए सदस्यों को FRC में शामिल किए जाने की मांग की गई है, ताकि इस तरह के फैसले से से पहले आईएमए विशेषज्ञों की राय ली जा सके.