आईआईटी दिल्ली के एक हाॅस्टल से दूसरे हाॅस्टल में छात्र नहीं जा सकते हैं. बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे 25 वर्षीय छात्र आयुष सिंघल की मौत के बाद पढ़ाई कर रहे छात्रों ने यह दावा किया है. आयुष सिंघल सोमवार से ही गायब थे और उनका शव बुधवार को उनके कमरे में पाया गया है. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार 2006 से 2024 के बीच आईआईटी दिल्ली के कैंपस में कम से कम 12 स्टूडेंट्स की मौत हो चुकी है.
आईआईटी-दिल्ली के मेडिकल स्टाफ ने घटनास्थल पर उसकी जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया. आयुष के परिवार में उनकी मां और एक छोटी बहन हैं. उनके पिता, जो एक दंत चिकित्सक थे, जिनका 2002 में निधन हो गया था. उनकी मां भी डेंटिस्ट हैं. मृतक ने डेरा बस्सी के नेशनल डेंटल कॉलेज से बीडीएस की पढ़ाई की थी और उसके बाद आईआईटी रोपड़ में आगे की पढ़ाई की. पिछले जनवरी में आईआईटी- दिल्ली में डॉक्टरेट की पढ़ाई शुरू की थी.
एक हाॅस्टल से दूसरे में नहीं जा सकते छात्र
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कैंपस में सबसे नई सुविधाओं में से एक द्रोणागिरी छात्रावास में छात्रों ने कहा कि पुरुष और महिला छात्रों दोनों की सुरक्षा के लिए बनाए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल ने एक अनपेक्षित परिणाम पैदा किया है. दूसरे छात्रावासों के दोस्त कमरों में नहीं जा सकते, जिससे बातचीत सामान्य क्षेत्रों या बाहरी स्थानों तक सीमित हो जाती है. कोई दोस्त कैसे जांचेगा कि छात्र उसका फोन नहीं उठा रहा है या जवाब नहीं दे रहा है? एक 27 वर्षीय पांचवें वर्ष के पीएचडी छात्र ने पूछा, जो पहले द्रोणागिरी में रहता था.
कैंपस में हुई अब तक 12 स्टूडेंट्स की मौत
रिपोर्ट्स के अनुसार प्राप्त आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबित 2006 से 2024 के बीच आईआईटी दिल्ली परिसर में कम से कम 12 स्टूडेंट्स की मौत हुई है, जिनमें से 10 छात्र और दो छात्राएं हैं. मृतक स्टूडेंट विभिन्न कोर्स के थे, लेकिन इनमें एक बात सामान्य है. अलगाव, देरी से पता चलना और कमरे अंदर से बंद होना. 12 स्टूडेंट्स में से 6 अनुसूचित जाति से थे, दो ओबीसी और चार जनरल कैटेगरी से थे. इनमें से पांच आत्महत्याएं थीं. जो 2023 और 2024 में हुईं.
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