नासा के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से एक्सिओम स्पेस की चौथी मानव अंतरिक्ष उड़ान होनी है. इस अंतरिक्ष उड़ान में कुल 4 यात्री हैं, जिसमें भारत के शुभांशु शुक्ला भी है, जो राकेश शर्मा के बाद स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे. तो वहीं वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय हैं. आइए जानते हैं कि शुभांशु शुक्ला कौन हैं. उनकी शिक्षा-दीक्षा कहां से हुई है. साथ ही जानेंगे कि एक एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कहां से कौन सी डिग्री लेनी पड़ती है.
एयरफोर्स ऑफिसर से एस्ट्रोनॉट बने हैं शुभांशु
शुभांशु शुक्ला की बात करें तो वह एयरफोर्स ऑफिसर से एस्ट्रोनॉट बने हैं. असल में शुभांशु ने 2026 में भारतीय वायु सेना यानी IAF की फाइटर स्ट्रीम ज्वाइन की थी. जहां वह वायुसेना में फाइटर कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट बने. शुभांशु के पास Su-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, डोनियर और हॉक जैसे विमानों को 2 हजार से अधिक घंटे उड़ाने का अनुभव है.
शुभांशु ने साल 2019 में ISRO गगनयान के लिए आवेदन किया था, जिसके बाद उनका चयन चार अधिकारियों के साथ इसरो के गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए हुआ था. इसके बाद उन्होंने स्पेस में जाने के लिए रूस के गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर और बेंगलुरु स्थित इसरो अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र से ट्रेनिंग ली है.
कहां से हुई है शुभांशु की शिक्षा
लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने लखनऊ स्थिति सिटी मांटेसिरी स्कूल से अपनी स्कूल शिक्षा पूरी की है. इसके बाद वह एनडीएम में शामिल हुए और एनडीए पुणे से उन्होंने बीटेक की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस सेएयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री ली है.
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कौन सी डिग्री
शुभांशु शुक्ला का अकादमिक करियर देखकर आप समझ ही गए होंगे कि एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कौन सी डिग्री लेने की जरूरत होती है, लेकिन हर कोई इस तरीके से एस्ट्रोनॉट नहीं बन सकता है. असल में शुभांशु एक पायलट के तौर पर अंतरिक्ष में जा रहे हैं. तो वहीं एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कोई सटीक कोर्स संचालित नहीं किया जाता है.
असल में एस्ट्रोनॉट बनने के लिए ग्रेजुएशन के बाद विकल्प खुलते हैं, जिसके तहत फिजिक्स, मैटल साइंस, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग जैसे कई विषयों में विशेषज्ञता एस्ट्रोनाॅट बनने के रास्ते खोलती है. इस संबंध में आईआईटी बांबे, मद्रास, कानपुर और खड़गपुर एयरोस्पेस इंजीनियरिंंग में बीटेक और एमटेक कराते हैं. तो वहीं भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) त्रिवेंद्रपुरम भी कई कोर्स कराता है. ये सभी कोर्स किसी भी छात्र का एयरो स्पेस इंजीनियरिंग के सेक्टर में करियर बनाने में मददगार हैं, लेकिन एस्टोनॉट बनने के लिए इसरो के कार्यक्रमों में चयनित होना बेहद ही जरूरी है.
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