जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (JKSSB) की ओर से बीते दिनों नायब तहसीलदार के पदों पर भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें भर्ती के लिए निर्धारित नियमों में उर्दू को अनिवार्य किया गया है. इस नियम के सार्वजनिक होने के बाद जम्मू एंड कश्मीर के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में इसका विरोध शुरू हो गया है. इसी कड़ी में बुधवार को जम्मू में इसके विरोध में प्रदर्शन आयोजित किया गया.
नायब तहसीलदार के 75 पदों पर भर्ती
JKSSB ने राज्य में नायब तहसीलदार के 75 पदों पर भर्ती के लिए ये अधिसूचना जारी की है, जिसमें आवेदन के लिए उर्दू को अनिवार्य बताया गया है. JKSSB की तरफ से नायब तहसीलदार के पदों पर भर्ती के लिए उर्दू की अनिवार्यता को लेकर एक्सपर्ट कई तर्क दे रहे हैं. उर्दू के पैरोकारों का कहना है कि राजस्व विभाग के अधिकांश रिकार्ड उर्दू में है. ऐसे में इस पद पर भर्ती के लिए उर्दू का ज्ञान होना जरूरी है.
हिंदी-डोगरी भाषी विरोध में उतरे
JKSSB नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा में उर्दू की अनिवार्यता का जम्मू क्षेत्र में विरोध शुरू हो गया है. जहां विशेषतौर पर हिंदी और डोगरी भाषी युवा इसका विरोध कर रहे हैं. विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि जब जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक भाषाओं में हिंदी, डोगरी, अंग्रेजी, कश्मीरी और उर्दू शामिल हैं, तो सिर्फ उर्दू को अनिवार्य बनाना सरासर भेदभाव है.
वहीं उर्दू की अनिवार्यता को लेकर जम्मू में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM), ABVP और अन्य छात्र संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. BJYM और ABVP का कहना है कि उर्दू की अनिवार्यता जम्मू के युवाओं के साथ अन्याय है और इससे स्पष्ट रूप से एक क्षेत्र विशेष के छात्रों को लाभ पहुंचाया जा रहा है.
एक पेपर पूरा उर्दू में होगा
JKSSB की तरफ से आयोजित की नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा में दो चरणों में आयाेजित की जानी है. पहले चरण में सामान्य परीक्षा का आयोजन होगा, जो वस्तुनिष्ठ होगा. वहीं दूसरे चरण में होने वाली परीक्षा वर्णानात्मक होगी, जो पूरी तरह उर्दू में होगा. उर्दू पेपर में पास होने के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 40 फीसदी और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को 35 फीसदी अंक लाने होंगे.
उर्दू की अनिवार्यता को लेकर पहले भी हो चुका है विवाद
JKSSB परीक्षा में उर्दू की अनिवार्यता को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है. साल 2019 में जब इसी पद की भर्ती के लिए उर्दू पेपर अनिवार्य किया गया था, तब इंटरव्यू के लिए चुने गए 817 में से 126 अभ्यर्थी उर्दू में आवश्यक नंबर नहीं लाने की वजह से बाहर हो गए थे, जिसमें से लगभग 97 फीसदी अभ्यर्थी जम्मू से थे.
क्या नियमों में संशोधन होगा
इस बीच JKSSB या उपराज्यपाल प्रशासन की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. हालांकि माना जा रहा है कि राजनीतिक दबाव और छात्रों के आक्रोश को देखते हुए भविष्य में नियमों में संशोधन किया जा सकता. फिलहाल, भर्ती प्रक्रिया को लेकर युवाओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है और मांग की जा रही है कि भाषा की बाध्यता को हटाकर चयन प्रक्रिया को अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाया जाए.
ये भी पढ़ें-How IITs Established in India? भारत में आईआईटी शुरू करने का आइडिया किसका था? USSR से आई थी मदद की पहली पेशकश