JOSAA 2025 कांउसलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस खत्म हो गया है. अब 14 जून से पहले राउंड की काउंसलिंग शुरू हो जाएगी. तो वहीं राज्यों ने अपने स्तर पर भी कांउसलिंग प्रक्रिया शुरू कर दी हैं. इन काउंसलिंग प्रक्रियाओं से कई छात्रों को आईआईट, एनआईटी, सरकारी समेत प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों से बीटेक करने का मौका मिलेगा. तो वहीं कई छात्र कम नंबर और फीस का भार ना उठा पाने की वजह से बीटेक में दाखिला से वंचित हो जाएंगे. इन हालातों में ऐसे छात्रों के पास पॉलिटेक्निक करने का अवसर बचता है. आज की बात इसी पर विस्तार से…समझेंगे कि बीटेक और पॉलिटेक्निक के बीच करियर में क्या और कितना फर्क है. प्लेसमेंट यानी नौकरी के लिए एक्सपर्ट किसे बेहतर मानते हैं.
बीटेक और पॉलिटेक्निक एजुकेशन में फर्क?
बीटेक और पॉलिटेक्निक एजुकेशन के बीच फर्क को दूसरे शब्दों में इंजीनियरिंग बनाम डिप्लोमा की लड़ाई कहा जा सकता है. बीटेक कोर्स से जहां इंजीनियरिंग की चार वर्षीय डिग्री मिलती है तो वहीं 3 वर्षीय पॉलिटेक्निक कोर्स से किसी भी छात्र को इंजीनियरिंग का डिप्लोमा मिलता है.
वहीं बीटेक और पॉलिटेक्निक के पाठ्यक्रम की बात करें तो बीटेक में जहां छात्रों को विषय यानी इंजीनियरिंग ब्रांच के सिद्धांतों के बारे में पढ़ाया जाता है तो वहीं पॉलिटेक्निक में छात्रों को इंजीनियरिंग ब्रांच की बुनियादी बातें सिखाई जाती हैं. बीटेक शिक्षा में थ्योरी और रिसर्च अधिक होती है, जबकि पॉलिटेक्निक एजुकेशन में छात्रों को व्यवहारिक ट्रेंनिंग और स्किल्स के बारे में बताया जाता है.
बीटेक या पॉलिटेक्निक…किसे बेहतर मानते हैं एक्सपर्ट
12वीं के बाद बीटेक बेहतर या पॉलिटेक्निक…इसको लेकर TV9 ने दिल्ली टेक्निकल एजुकेशन के पूर्व मीडिया एडवाइजर मनोज वर्गीज से बात की, जिनके पास टेक्निकल एजुकेशन से जुड़ा हुआ कई सालों का व्यवहारिक अनुभव है. मनाेज वर्गीज बताते हैं कि बीटेक और पॉलिटेक्निक में तुलना नहीं की जा सकती है. बीटेक डिग्री की अपनी वैल्यू है, जबकि पॉलिटेक्निक डिप्लोमा का अपना आधार है. हालांकि वह इस पर जोर देते हैं कि मौजूदा समय में सरकारें देश में लोगों के स्किल्स बढ़ाने के लिए पॉलिटेक्निक शिक्षा को प्राेत्साहित कर रही हैं.
पॉलिटेक्निक से मिलती है जल्दी नौकरी
बीटेक या पॉलिटेक्निक… किसमें नौकरी के बेहतर अवसर हैं, इस सवाल के जवाब में दिल्ली टेक्निकल एजुकेशन के पूर्व मीडिया एडवाइजर मनोज वर्गीज पॉलिटेक्निक का पक्ष लेते हैं. मनोज कहते हैं कि पॉलिटेक्निक डिप्लोमा होल्डर जल्द ही नौकरी प्राप्त कर लेते हैं, जबकि बीटेक से व्हाइट कॉलर जॉब मिलती है. साथ ही वह ये भी जोड़ते हैं कि बीते कुछ सालों में इंडस्ट्री में बीटेक डिग्रीधारियों के लिए रोजगार का संकट पैदा हुआ है, जबकि पॉलिटेक्निक वालों को आसानी से नौकरियों मिलती रहती हैं.
एक डिग्री वाले के साथ 4 डिप्लोमा होल्डर
मनोज वर्गीज कहते हैं कि बेशक बीटेक डिग्री वालों की नौकरियां कम हुईं हैं, जबकि पॉलिटेक्निक में नौकरियां जल्द ही मिल जाती हैं. वह इसके पीछे का गणित समझाते हुए कहते हैं कि किसी प्राेजेक्ट में एक बीटेक डिग्री वाला टीम लीड करता है, जबकि चार डिप्लोमा होल्डर उसकी टीम में होते हैं. इसी अनुपात में चीजें आगे बढ़ती हैं. वह कहते हैं कि बीटेक डिग्री के बाद कम से कम 5 से 6 लाख रुपये सालाना पैकेज की नौकरी मिल जाती है, जबकि पॉलिटेक्निक डिप्लोमा के बाद कम से कम 3 लाख रुपये सालाना की नौकरी मार्केट में हैं, जो आसानी से उपलब्ध हैं. वहीं डिप्लोमा वाले अपनी क्षमता के अनुसार ग्रोथ भी कर सकते हैं.
पॉलिटेक्निक के बाद किया जा सकता है बीटेक
वहीं एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर किसी छात्र को जल्द अनुभव चाहिए तो वह पॉलिटेक्निक कर अपना करियर शुरू कर सकता है. क्योंकि पॉलिटेक्निक के बाद बीटेक की डिग्री ली जा सकती है. ऐसे छात्र राज्य स्तरीय इंजीनियरिंग लैटरल एंट्री प्रवेश परीक्षा को पास कर सीधे बीटेक के दूसरे वर्ष में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं.
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