NEET UG के परिणाम आ गए हैं. ये परिणाम वैसे ही आए हैं, जैसी आशंका थी, उम्मीद थी. परीक्षा के दिन ही यह आशंका डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले युवाओं ने, शिक्षकों ने व्यक्त कर दी थी, क्योंकि फिजिक्स का पेपर बेहद कठिन था और सवाल भी पिछले सालों के पैटर्न पर नहीं पूछे गए थे. पैटर्न बदलने की कोई सूचना भी स्टूडेंट्स को नहीं दी गई थी. जो सूचना देने का दावा एनटीए ने किया था उसकी भाषा इतनी कठिन थी कि स्टूडेंट्स के ऊपर से निकल गई और एग्जाम हाल से निकले बड़ी संख्या में युवा निराश थे. ताजा आए परिणाम के बाद एक सवाल तेजी से उछल कर सामने आया है कि क्या NEET UG, JEE से कठिन हो गया?
अभी तक JEE देश में सबसे कठिन
हम सबको पता है कि देश में जितनी भी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित होती हैं, उनमें JEE सबसे कठिन मानी जाती रही है. इस सवाल को हल करने से पहले NEET UG के पुराने परिणाम जान लेते हैं. यह परीक्षा बीते कई सालों से 720 अंकों की होती रही है. 650 अंकों तक पाने वाले युवा एमबीबीएस में एडमिशन पा जाते थे. हाल के वर्षों में नंबरों की बारिश सी होने लगी. साल 2022 में 720 में 715 नंबर पाने वाले युवा भी थे तो बाद के सालों में पहले सौ युवाओं ने तो सारे रिकार्ड ध्वस्त कर डाले और पूरे 720 में 720 लेकर आए.
इस पर खूब शोर-शराबा हुआ तो जांच-पड़ताल हुई तो कुछ के नंबरों में बदलाव हुआ मतलब सौ के सौ के 720 नंबर बरकरार नहीं रह पाए. इनमें से कई की किस्मत दगा दे गई क्योंकि उनके नंबर कम हो गए. साल 2025 में 680 नंबर पर टॉपर है. यद्यपि, नंबर कम आने से या मेरिट कम नंबर पर बनने से एडमिशन पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है, पर स्टूडेंट्स का भरोसा इस बार टूटा है. मनोबल गिरा है, क्योंकि यह मामला केवल टॉपर्स का नहीं है, कम नंबर पाने वालों की मेरिट भी पर भी बुरा असर पड़ा है.
कटऑफ नीचे आने का मतलब साफ-प्रश्न उलझे हुए पूछे गए
अब आते हैं मूल सवाल पर. क्या वाकई NEET UG, JEE से कठिन हो गया है? विशेषज्ञ इसे दूसरे नजरिए से देखते हैं. वे कहते हैं कि इस बार फिजिक्स का पेपर कठिन था. वो आईआईटी से भी कठिन था. नीट के परिक्षार्थियों के लिए इतने कठिन पेपर की अपेक्षा किसी ने नहीं की थी. न ही स्टूडेंट्स ने और न ही टीचर्स ने. कट ऑफ घटना यह दिखाता है कि कहीं न कहीं बच्चों को पेपर सॉल्व करने में कठिनाई हुई. लंबे समय से स्टूडेंट्स के बीच रहने वाले शिक्षक डॉ अजीज खान कहते हैं कि इन दोनों परीक्षाओं का मिजाज अलग है. भले ही दोनों में फिजिक्स-केमिस्ट्री कॉमन सब्जेक्ट हैं. इनका आपस में कोई तालमेल नहीं हो सकता.
जहां होगी मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री मजबूत होगा
डॉ. अजीज खान कहते हैं कि 10वीं पास करते ही बच्चे को अपनी दिशा तय करना होता है. अगर उसे इंजीनियर बनना है तो फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ मैथ अनिवार्य रूप से लेना होता है और डॉक्टर बनने की सोच रखने वालों को फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ बायोलॉजी लेना अनिवार्य होता है. अब सामान्य दशा में हम यह देख पाते हैं कि दोनों ही स्टूडेंट्स ने फिजिक्स, केमिस्ट्री ले रखी है तो अंतर क्यों है? बस यहीं से एक महत्वपूर्ण बदलाव आ जाता है. डॉ. अजीज की बात को आगे बढ़ाते हैं डॉ. डीके त्रिवेदी, उनका कहना है कि इंजीनियर बनने वाले बच्चे फिजिक्स के साथ मैथ्स पढ़ते हैं और डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले बिना मैथ्स के फिजिक्स पढ़ते हैं.
स्वाभाविक रूप से बिना मैथ्स पढ़ने वालों की फिजिक्स कमजोर हो जाती है. 11वीं, 12वीं में दो साल तक मैथ्स के साथ फिजिक्स, केमिस्ट्री पढ़ने वाले बच्चों में और बिना मैथ्स पढ़ने वाले बच्चों के ज्ञान के स्तर में, सवालों को समझने के स्तर में जमीन आसमान का फर्क आ चुका होता है. दोनों ही शिक्षक मानते हैं कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी इस बार पेपर बनवाते समय यह बात भूल गई और स्टूडेंट्स परेशान हुए. फिजिक्स के जो सवाल पूछे गए, उनमें फार्मूले ऐसे थे कि बिना मजबूत मैथ्स वाला स्टूडेंट्स उन्हें अटेम्पट करने की सोच भी नहीं सकता.
स्टूडेंट्स ने पढ़ा बेसिक, सवाल एडवांस पूछे गए
अब सोचने की बारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की है कि वह दोनों ही अखिल भारतीय परीक्षाओं में किसे कठिन रहने देना चाहती है. डॉ. खान कहते हैं कि मैं बीते 30 सालों से पढ़ा रहा हूं और यह ठीक से समझता हूं कि NEET UG देने वाले स्टूडेंट्स को बेसिक फिजिक्स ही आती है और JEE अटेम्पट करने वालों की फिजिक्स काफी एडवांस लेवल की होती है. वे कहते हैं कि इस बार फिजिक्स के सवाल एडवांस लेवल के पूछ लिए गए थे. इसका नुकसान यह होगा कि स्टूडेंट्स NEET UG से दूरी बनाना शुरू कर देंगे. अभी संख्या के हिसाब से NEET UG देश की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा है. JEE में तो इसके आधे ही बैठते हैं.
डॉ त्रिवेदी कहते हैं कि नया सवाल इसलिए उठा क्योंकि इस बार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से प्रश्न पत्र बनाने वाले लोग भूल गए कि ये बच्चे दो साल पहले ही मैथ्स पढ़ना छोड़ चुके हैं. दोनों ही शिक्षक यह मानते हैं कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने अगर अगली बार भूल सुधार कर लिया तो भी और नहीं किया तो भी, JEE टफ ही रहेगा. उम्मीद की जाती है कि अगले साल नीट में फिजिक्स केमिस्ट्री के सवाल एडवांस लेवल के नहीं बल्कि पहले की तरह ही पूछे जाएंगे और JEE का देश की सबसे कठिन परीक्षा का दर्जा अपनी जगह पर बना रहेगा.
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