ड्रोन टेक्नोलॉजी में कहां से मिलती है डिग्री, कौन सा कोर्स, कितनी मिलती है सैलरी?

भारत और पाकिस्तान संघर्ष में ड्रोन की अहमियत तो देखे ही होंगे. अब हाल ही में इजरायल और ईरान युद्ध में भी ड्रोन चर्चा में है. सिर्फ युद्ध ही नहीं, खेतों की निगरानी, आपदा में राहत पहुंचाना हो या फिर शादी की वीडियो में शानदार शॉट्स कैप्चर करना हो, ड्रोन की हर जगह जरूरत पड़ रही है. ड्रोन टेक्नोलॉजी आज भारत में तेजी से बढ़ रहा है और इसके साथ ही नए करियर के दरवाजे खुल रहे हैं.

चाहे आप ड्रोन पायलट बनना चाहें या ड्रोन डिजाइन करने वाला इंजीनियर, सरकारी संस्थान जैसे IGRUA, IIT गुवाहाटी और NIT आंध्र प्रदेश आपको इस रोमांचक फील्ड में कदम रखने का मौका दे रहे हैं. सरकार की ड्रोन नीतियों और योजनाओं ने इस क्षेत्र को और बूस्ट दिया है, लेकिन सवाल यह है, कहां से मिलेगी डिग्री, कौन से कोर्स हैं और कितनी सैलरी की उम्मीद कर सकते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में.

ड्रोन टेक्नोलॉजी में कोर्स और सरकारी संस्थान

ड्रोन टेक्नोलॉजी में करियर बनाने के लिए भारत में कई सरकारी संस्थान कोर्स ऑफर कर रहे हैं. ये संस्थान न केवल क्वॉलिटी एजुकेशन देते हैं, बल्कि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेशन भी देते हैं.

संस्थान और उनके कोर्स

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी (IGRUA)

IGRUA ड्रोन पायलट ट्रेनिंग में लीडर है. यह संस्थान स्मॉल और मीडियम रोटरक्राफ्ट रिमोट पायलट सर्टिफिकेट (RPC) कोर्स ऑफर करता है. यह कोर्स DGCA-प्रमाणित है और गुरुग्राम, बेंगलुरु, ग्वालियर, कांगड़ा, कोयम्बटूर, मदुरै और भोपाल जैसे शहरों में उपलब्ध है.

कोर्स की अवधि सिर्फ 5 दिन है और इसमें ड्रोन उड़ाने की बेसिक स्किल्स सिखाई जाती हैं. इसके अलावा, IGRUA ड्रोन इंस्ट्रक्टर ट्रेनिंग भी देता है, जो उन लोगों के लिए है जो भविष्य में दूसरों को ट्रेन करना चाहते हैं. ड्रोन पायलट कोर्स के लिए आपको कम से कम 10वीं पास होना चाहिए, 18 साल की उम्र होनी चाहिए और आधार कार्ड के साथ मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट देना होगा. कोर्स की अवधि 5 दिन है.

IIT गुवाहाटी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी ने ड्रोन टेक्नोलॉजी में कई तरह के कोर्स शुरू किए हैं. इनमें पीएचडी प्रोग्राम, सर्टिफिकेशन कोर्स और रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन (RPTO) के तहत ड्रोन पायलट ट्रेनिंग शामिल हैं.

2024 में IIT गुवाहाटी ने भारत का सबसे बड़ा RPTO लॉन्च किया, जो खास तौर पर उत्तर-पूर्वी राज्यों और महिलाओं के लिए डिजाइन किया गया है. यह केंद्र नामो ड्रोन दीदी योजना का हिस्सा है, जो ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन पायलट बनने में मदद करता है. पीएचडी के लिए आपको रिलेटेड फील्ड में मास्टर्स डिग्री चाहिए, जबकि RPTO कोर्स के लिए 10वीं पास और 18 साल की उम्र काफी है.

NIT आंध्र प्रदेश

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) आंध्र प्रदेश ड्रोन टेक्नोलॉजी में अल्प डिग्री (मिनी डिग्री) शुरू करने की योजना बना रहा है. यह कोर्स खास तौर पर इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के लिए होगा, जिसमें ड्रोन डिजाइन, कैलिब्रेशन, और टेस्टिंग जैसे टॉपिक्स कवर होंगे.

कोर्स की डिटेल्स अभी पूरी तरह से पब्लिक नहीं हुई हैं, लेकिन जल्द इसके लिए आवेदन मांगे जा सकते हैं. डिग्री के लिए संभवतः इंजीनियरिंग बैकग्राउंड की जरूरत होगी. कोर्स की अवधि सेमेस्टर-बेस्ड हो सकती है.

सैलरी और जॉब के अवसर

ड्रोन टेक्नोलॉजी में सैलरी आपके रोल, अनुभव, और लोकेशन पर डिपेंड करती है. कुछ प्रमुख रोल्स और उनकी औसत सैलरी इस प्रकार हैं:

  • ड्रोन पायलट की औसत सैलरी 2.37 लाख रुपये सालाना होती है. शुरुआती पायलट 2-6 लाख रुपये कमा सकते हैं और अनुभवी पायलटों की सैलरी 8 लाख रुपये तक हो सकती है.
  • ड्रोन इंजीनियर की औसत सैलरी 5 लाख रुपये सालाना होती है. अनुभव के साथ यह और बढ़ सकती है.
  • सर्वे ड्रोन पायलट 3-10 लाख रुपये प्रति साल कमा सकते हैं. हालांकि यह इंडस्ट्री और प्रोजेक्ट्स पर निर्भर करता है.

ड्रोन टेक्नोलॉजी का भविष्य

भारत में ड्रोन इंडस्ट्री का भविष्य काफी ब्राइट है. सरकार ने 2030 तक ड्रोन इकोसिस्टम को ग्लोबल लीडर बनाने का टारगेट रखा है. ड्रोन नियम 2021 के तहत लाइसेंसिंग प्रोसेस को आसान किया गया है, जिससे ज्यादा लोग इस फील्ड में आ रहे हैं. साथ ही ड्रोन का इस्तेमाल डिलीवरी, हेल्थकेयर और डिजास्टर मैनेजमेंट में भी बढ़ रहा है. हालांकि इस फील्ड में चैलेंजेस भी हैं. ड्रोन पायलट्स को DGCA के सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है और टेक्नोलॉजी में तेजी से होने वाले बदलावों के साथ अपडेट रहना जरूरी है.

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