NEET UG 2025 Result में पास 11 लाख से ज्यादा स्टूडेंट नहीं बन पाएंगे डॉक्टर, जानें क्या है वजह?

NEET UG के लिए छात्र सालभर मेहनत करते हैं. मसलन, किताबों में दिन-रात खपा देते हैं. कोचिंग और मॉक टेस्ट में पूरी ताकत लगा देते हैं. मकसद नीट यूजी में सफलता होती है. नीट यूजी 2025 में 20 लाख से अधिक छात्र शामिल हुए थे. 14 जून को नीट यूजी 2025 का रिजल्ट जारी हुआ, जिसमें 12 लाख से अधिक छात्र पास हुए, लेकिन नीट यूजी में पास होने के बाद भी 11 लाख से अधिक छात्र डॉक्टर नहीं बन सकेंगे. मसलन, उन्हें MBBS में दाखिला नहीं मिलेगा और उनका डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाएगा. ऐसा क्यों? आइए जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है?

11 लाख से अधिक छात्र क्यों नहीं बन पाएंगे डॉक्टर?

इस साल 20.80 लाख छात्रों ने NEET UG की परीक्षा दी थी, जिनमें से 12,36,531 छात्रों ने इसे पास भी कर लिया. ये सुनने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन असली कहानी देश में MBBS की कुल सीटों की तुलना में पास हुए छात्रों की संख्या है. असल में देश में MBBS की कुल सीटें सिर्फ 1,18,190 हैं, जबकि नीट यूजी 2025 को पास करने वाले छात्रों की संख्या 12,36,531 है. ऐसे में 11.18 लाख छात्र डॉक्टर बनने से चूक वंचित हो गए.

नीट में पास पर MBBS दाखिला में फेल

नीट यूजी में पास छात्र देश में MBBS की कम सीट होने की वजह से दाखिला से वंचित हो जाते हैं. ऐसे में इन छात्रों के पास कुछ विकल्प बचते हैं. आइए जानते हैं कि वह क्या विकल्प हैं.

  1. विदेश में पढ़ाई: कई बच्चे जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए विदेश चले जाते हैं. लेकिन ये हर किसी के बस की बात नहीं.
  2. फिर से तैयारी: बहुत से बच्चे हिम्मत नहीं हारते और अगला साल फिर से तैयारी में लगाते हैं, ये सोचकर कि अगली बार शायद अच्छी रैंक आ जाए. इसमें उनका एक साल और काफी पैसा लग जाता है.
  3. दूसरे मेडिकल कोर्स: कुछ छात्र आयुर्वेद (BAMS), यूनानी (BUMS), होम्योपैथी (BHMS) या नर्सिंग जैसे दूसरे मेडिकल और हेल्थकेयर कोर्सेज की तरफ चले जाते हैं. NEET UG के नतीजों के आधार पर, करीब 2.40 लाख सीटों पर इन सभी कोर्सेज में एडमिशन मिलता है, जिसमें मेडिकल, डेंटल, आयुष और नर्सिंग शामिल हैं.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के 2025-26 के अपडेट के मुताबिक, भारत में कुल 780 मेडिकल संस्थान हैं, जो MBBS के अलावा इन कोर्सेज की पढ़ाई कराते हैं, लेकिन MBBS का सपना देखने वाले लाखों बच्चों के लिए ये अभी भी मुश्किल ही है.

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