महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर संग्राम जारी है. राज्य में हिंदी भाषा को स्कूली शिक्षा में अनिवार्य किए जाने को लेकर विवाद गहराया हुआ है. महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार तीन भाषा फार्मूले के तहत हिंदी को पहली कक्षा से अनिवार्य कर दिया है. इसके विरोध में शिवसेना यूबीटी और मनसे ने मोर्चा खोला हुआ है. अब इस विवाद में एनसीपी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार की एंट्री भी हो गई है. इस विवाद पर शरद पवार ने कहा है कि हिंदी काे कक्षा एक से अनिवार्य ना किया जाए. साथ ही उन्होंने कक्षा 5वीं की बाद यानी कक्षा 6 से स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने की वकालत की है.
‘हिंदी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता’
एनसीपी (एसपी) सुप्रीमो शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार के कक्षा एक से हिंदी को अनिवार्य किए जाने का फैसला का विरोध किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदी को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है. ऐसे में कक्षा 5 के बाद हिंदी पढ़ाई जाने की वकालत उन्होंने की है. पवार ने कहा कि कक्षा 5 के बाद हिंदी पढ़ाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है. देश का एक बड़ी आबादी हिंदी बोलती है.
मातृभाषा में दी जाए प्राथमिक शिक्षा
एनसीपी (एसपी) सुप्रीमो शरद पवार ने हिंदी को लेकर महाराष्ट्र सरकार के फैसले का विराेध करते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षा में हिंदी को अनिवार्य करना सही नहीं है. इससे छोटे बच्चों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मातृभाषा में ही प्राथमिक शिक्षा दी जानी चाहिए. साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अभिभावकों को ये तय करने का अधिकार होना चाहिए कि उनके बच्चे को हिंदी पढ़नी है या नहीं. शरद पवार ने कहा कि अगर बच्चों पर अन्य भाषा थोपी जाए और उसकी वजह से मातृभाषा को नजरअंदाज किया जाए, तो यह ठीक नहीं है. साथ ही उन्होंने हिंदी को पहली कक्षा से अनिवार्य बनाने के निर्णय को वापस लेने की मांग भी की.
महाराष्ट्र में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य
हिंदी को लेकर महाराष्ट्र का राजनीतिक पारा गरमाया हुआ है. असल में महाराष्ट्र सरकार ने एक संशोधित आदेश में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को कक्षा 1 से 5 तक अनिवार्य कर दिया है, जिसका विरोध होना शुरू हो गया है.
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