Success Story: भारत के सबसे शिक्षित ‘नेताजी’…20 डिग्रियां, 42 यूनिवर्सिटी में पढ़ाई, 2 बार UPSC, एक साथ संभाले 14 मंत्रालय

कभी सोचा है कि कोई इंसान कितना पढ़ सकता है? 2, 4, 10 डिग्री, लेकिन क्या होगा अगर मैं कहूं कि भारत में एक ऐसा नेता था, जिसने 20 से ज्यादा डिग्रियां हासिल कीं, करीब 42 यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, दो बार UPSC परीक्षा पास की और तो और, एक साथ 14 मंत्रालयों का भार संभाला? हां, हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के अद्भुत व्यक्तित्व डॉ. श्रीकांत जिचकर की. डॉ. श्रीकांत की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है.

डॉ. श्रीकांत का जन्म 1954 में हुआ था. उनकी डिग्रियों की लिस्ट देखकर बड़े-बड़े ज्ञानी भी चकित रह जाते हैं. MBBS और MD कर डॉक्टर बने, फिर LLB किया. लेखन का शौक था, इसलिए जर्नलिज्म भी किया. कारोबार की समझ को बढ़ाने के लिए DBM और MBA की डिग्री ली. किताबों से लगाव इतना था कि B.Lib भी किया. इंग्लिश लिटरेचर, संस्कृत, दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति, मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में MA की डिग्रियां लीं.

Shrikant Jichkar Story: पहले IPS फिर बने IAS

आज लाखों युवा UPSC की तैयारी करते हैं और एक बार इसे पास करना ही किसी बड़े सपने के पूरा होने जैसा मानते है, लेकिन डॉ. श्रीकांत ने यह कारनामा एक नहीं, बल्कि दो बार किया. 1978 में उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की परीक्षा पास की. फिर दो साल बाद 1980 में उन्होंने फिर से UPSC दी और इस बार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए चयनित हुए.

Youngest MLA of Maharashtra: सबसे कम उम्र में बने थे विधायक

आईएएस की नौकरी छोड़कर डॉ. श्रीकांत ने राजनीति का रुख किया. 1980 में महज 26 साल की उम्र में वह महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य (MLA) चुने गए. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड था. फिर महाराष्ट्र सरकार में उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया और उन्होंने एक साथ 14 अलग-अलग मंत्रालयों का कार्यभार संभाला, जिसमें वित्त, योजना, उद्योग, सांस्कृतिक मामले, सार्वजनिक स्वास्थ्य और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी शामिल थे.

Shrikant Jichkar Death: 2004 में सड़क हादसे में हुआ था निधन

डॉ. श्रीकांत सिर्फ एक नेता नहीं थे, बल्कि संस्कृत के प्रकांड विद्वान और कला प्रेमी भी थे. उन्होंने नागपुर में ‘कला सागर’ नाम से एक कला दीर्घा और 50 हजार से ज्यादा किताबों वाली एक लाइब्रेरी भी बनवाई. दुर्भाग्य से ज्ञान और प्रतिभा का यह सूर्य 2 जून 2004 को एक सड़क दुर्घटना में अस्त हो गया. डॉ. श्रीकांत जिचकर तब सिर्फ 49 साल के थे.

ये भी पढ़ें: गूगल CEO सुंदर पिचाई के बैचमेट, IIT से पढ़ाई, फिर संन्यासी कैसे हो गए गौरांग दास?