महात्मा गांधी के निजी डॉक्टर भी रहे डॉ बीसी राॅय, 30 बैठकों के बाद मिला मेडिकल में दाखिला, इन्हीं के जन्म दिवस पर नेशनल डॉक्टर्स डे शुरू हुआ

भारत में एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे आयोजित किया जाता है. भारत रत्न डाॅ बीसी राॅय के जन्म दिवस के अवसर पर भारत में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1991 से हुई. डॉ बीसी रॉय का पूरा नाम बिधान चंद्र राॅय था. वह महात्मा गांधी के निजी डॉक्टर भी रहे तो वहीं 30 बैठकों के बाद उन्हें लंदन के मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिला था. उन्हें आधुनिक बंगाल का जनक भी कहा जाता है. आइए जानते हैं कि डॉ बीसी राॅय कौन थे और उनके जन्म दिवस पर क्यों देश में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है?

बीसी रॉय का प्रारंभिक जीवन

डॉ बीसी राॅय का जन्म एक जुलाई 1982 को पटना में एक बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था. उनके पिता प्रकाश चंद्र राॅय डिप्टी मजिस्ट्रेट थे. उनकी मां का नाम अघोर गामिनी देवी था. डॉ बीसी राॅय की प्रारंभिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा बिहार में हुई. वह 1901 में उच्च शिक्षा के लिए बिहार से बंगाल चले गए.

पढ़ाई के दौरान नर्स का काम करना पड़ा

बिहार से उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए बंगाल आ गए. यहां उन्होंने कलकता मेडिकल काॅलेज में दाखिला लिया, लेकिन पढ़ाई का खर्च उन्हें स्वयं उठाना पड़ा. हालांकि उन्हें स्कॉलरशिप मिलती थी, लेकिन अतिरिक्त खर्च की पूर्ति के लिए उन्हें अस्पताल में नर्स का काम भी करना पड़ा. उन्होंने उस दौरान एलएमपी के बाद एमडी परीक्षा दो वर्षों में पास की, जो एक रिकॉर्ड है.

लंदन में 30 बैठकों के बाद मिला दाखिला

कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डाॅ बीसी राॅय ने उच्च शिक्षा के लिए लंदन स्थित सेंट बार्थोलोम्यू कॉलेज में दाखिला के लिए आवेदन किया, लेकिन विद्रोही बंगाल का निवासी होने के कारण कॉलेज डीन ने उन्हें दाखिला देने से मना कर दिया. इसको लेकर उन्हें कॉलेज डीन से लगभग 30 बैठकें की, क्योंकि डीन उन्हें भर्ती करने के लिए उत्सुक नहीं थे. इसके बाद बड़ी कठिनाई से उनका दाखिला हुआ.

राजनीति में एंट्री और गांधी के निजी डाॅक्टर

लंदन से अपनी मेडिकल पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ बीसी राॅय वापस भारत लौटे. इसके बाद उन्होंने सियालदेह में अपनी क्लीनिक खोला तो वहीं साथ में सरकारी नौकरी भी की, लेकिन इससे वह संतुष्ट नहीं हुए और राजनीति में उन्होंने प्रवेश किया. 1923 में वह बंगाल विधानसभा पहुंचे. 1931 में वह सुभाष चंद्र बोस के बाद कलकत्ता के मेयर बने. सविनय अवज्ञा आंदोलन में वह महात्मा गांधी के साथ सक्रिय रहे और गांधी के डॉक्टर के रूप में उन्होंने काम किया. 1933 में जब गांधी पूना में 21 दिन का उपवास कर रहे थे, तब डॉ रॉय ने उनके साथ रहकर उनकी देखभाल की. डॉ बीसी राॅय 1948 में पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री बने.

IMA और IMC के पहले अध्यक्ष

डॉ बीसी राॅय ने भारत में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और भारतीय चिकित्सा परिषद (IMC) की स्थापना में अहम भूमिका निभाई. डॉ राय दोनों ही संस्थाओं के पहले अध्यक्ष थे. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, संक्रामक रोग अस्पताल और कोलकाता के पहले स्नातकोत्तर चिकित्सा महाविद्यालय को शुरू करने में भी मदद की.

एक जुलाई को ही मौत

डॉ बीसी राॅय का जन्म एक जुलाई का हुआ था तो उनकी मौत भी एक जुलाई को ही हुई. 1948 में बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री बने डॉ बीसी राॅय की मौत 1 जुलाई, 1962 को हुई. वह उस दौरान बंगाल के मुख्यमंत्री थे. उनकी मृत्यु से एक साल पहले ही उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उन्हें आधुनिक बंगाल का जनक भी कहा जाता है.

ब्रिटिश जर्नल ने डॉ राॅय पर क्या लिखा

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने अपने श्रद्धांजलि लेख में डाॅ बीसी राॅय को भारतीय उपमहाद्वीप का पहला मेडिकल एडवाइजर बताया, जो कई क्षेत्रों में अपने समकालीनों से बहुत आगे थे. ब्रिटिश जर्नल ने अपने श्रद्धांजलि लेख में आगे लिखा कि किसी शहर या रेलवे स्टेशन पर उनके आने की खबर से ही मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ती थी.

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