डॉ बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (AUD) की कुलपति प्रो अनु सिंह लाठर ने इंडिया को विदेशी शब्द बताया है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अब जानबूझकर ‘इंडियन नॉलेज सिस्टम’ शब्द की जगह ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली’ (बीकेएस) शब्द का इस्तेमाल कर रहा है, क्योंकि इंडिया एक विदेशी शब्द है. एयूडी की कुलपति प्रो अनु सिंंह लाठर ने पीटीआई को दिए गए साक्षात्कार में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की शब्दावली का चयन एक गहन दार्शनिक और ऐतिहासिक चेतना को प्रतिबिंबित करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि इंडिया शब्द हम सभी के लिए विदेशी है. इस दौरान उन्होंने एयूडी की सांस्कृतिक पहचान और शैक्षिक स्वायत्तता पर भी जोर दिया.
एयूडी में 45 बीकेएस पाठ्यक्रम शुरू हुए
सामाचार एजेंसी पीटीआई को दिए विशेष साक्षात्कार में एयूडी की कुलपति प्रो अनु सिंह लाठर ने कहा कि एयूडी ने हाल ही में 54 अनिवार्य भारतीय ज्ञान प्रणाली (BKS) पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी है, जिन्हें इतिहास, कानून, विरासत प्रबंधन और राजनीतिक दर्शन सहित विभिन्न विभागों के विषयों में एकीकृत किया जाएगा.
अनिवार्य रूप से पढ़ाए जाएंगे बीकेएस पाठ्यक्रम
एयूडी की कुलपति प्रो अनु सिंह लाठर ने आगे कहा कि विवि की तरफ से शुरू किए 54 बीकेएस पाठ्यक्र केवल मूल्य-संवर्द्धन वाले ऐच्छिक विषय नहीं हैं, बल्कि अनिवार्य घटक हैं, जिनका मकसद औपचारिक उच्च शिक्षा में स्वदेशी ज्ञान ढांचे को शामिल करना है.उन्होंने कहा कि हमें इन पाठ्यक्रमों को अंतिम रूप देने में लगभग दो साल लगे. प्रत्येक पाठ्यक्रम के संदर्भ में मूल स्रोत-उपनिषद, महाभारत या अर्थशास्त्र के अध्याय, श्लोक और पंक्ति तक शामिल हैं. हमने जमीनी स्तर पर गहन अकादमिक कार्य किया है.
पारंपरिक कानून और भारतीय विज्ञान शामिल
एयूडी की कुलपति प्रो अनु सिंह लाठर ने कहा कि एयूडी की तरफ से शुरू किए बीकेएस पाठ्यक्रम की पहल शायद किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय में सबसे उपयुक्त बीकेएस मॉडल है. उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम में भारतीय आधारभूत राजनीतिक दर्शन, योग एवं आत्मा, भारतीय सौंदर्यशास्त्र, ज्ञान के रूप में भक्ति, पारंपरिक कानून प्रणालियां और प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी जैसे विषय शामिल हैं.
प्रो लाठर ने कहा कि ये पाठ्यक्रम राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों की मदद से तैयार किए गए हैं और विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद से अनुमोदन मिलने से पहले इनकी गहन अकादमिक जांच की गई थी. प्रो लाठर ने कहा कि हम अन्य संस्थानों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं. बाबासाहेब आंबेडकर के आदर्शों में निहित हमारा दृष्टिकोण हमारी विशिष्ट शैक्षणिक पहचान का मार्गदर्शन करता है, जिसमें हमारा यह रुख भी शामिल है कि किस ज्ञान को केंद्र में होना चाहिए.उन्होंने कहा कि यह साहसिक कदम स्वदेशी बौद्धिक परंपराओं को पुनः प्राप्त करने और औपनिवेशिक युग के बाद के शैक्षणिक विमर्श को नया स्वरूप देने के व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है.
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