सरकारी स्कूलों पर 900 करोड़ खर्च करेगी दिल्ली सरकार, 18 हजार से अधिक स्मार्ट क्लासरूम बनेंगे

दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार 900 करोड़ रुपये खर्च कर सरकारी स्कूलों में 18 हजार से अधिक स्मार्ट क्लासरूम बनाएगी. इस संबंध का फैसला मंगलवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अगुवाई हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया गया है. कैबिनेट बैठक में इसके साथ ही टूरिज्म, हेल्थ और होम डिपार्टमेंट के मुद्दों पर चर्चा हुई है. दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इस संबंध में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार की शिक्षा नीति पर अक्सर बातें होती थीं, लेकिन शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन रेखा गुप्ता सरकार में ही होगा.आइए जानते हैं कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कितने क्लासरूम हैं? रेखा गुप्ता सरकार की क्या प्लानिंग है?

दिल्ली में 3 फीसदी से कम स्मार्टक्लास रूम

दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 37,778 क्लासरूम हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 799 में ही स्मार्ट क्लासरूम है, जो भी CSR फंड के तहत चंदे के पैसे से बने हैं. अब शिक्षा व्यवस्था को स्मार्ट बनाने के लिए स्मार्ट बोर्ड की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने 18966 स्मार्ट क्लासरूम बनाने का बजट पास किया गया. आने वाले दिनों में सीएम श्री स्कूलों में बहुत बड़ा काम करने वाले हैं, जिसके तहत अब 75 सीएम श्री स्कूलों में 2446 स्मार्ट बोर्ड लगेंगे.

उन्होंने कहा कि हम 5 चरणों में 9वीं से 12वीं तक 18966 क्लासरुम में स्मार्ट बोर्ड लगाएंगे. इतना ही नहीं इन स्मार्ट बोर्ड को चलाने और बच्चों को इनके माध्यम से कैसे शिक्षा दी जा सकती है, इस संबंध में टीचर्स की ट्रेनिंग दी जाएगी.आशीष सूद ने कहा कि सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर बनाएंगे.

फीस रेगुलेशन एक्ट भी पास

दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और फीस बढ़ोत्तरी को लेकर लाए गए फीस रेगुलेशन अध्यादेश की जानकारी भी दी. उन्होंने कहा कि मंगलवार काे हुई कैबिनेट बैठक में इस अध्यादेश काे पास कर दिया गया है. इसकी प्रशासनिक तैयारी होने पर इसकी विस्तार से जानकारी दी जाएगी.

साथ ही उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने शिक्षा के नाम पर भ्रष्टाचार किया, जिन्होंने भी भ्रष्टाचार किया वो सब पकड़े जाएंगे. पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग पर बड़े-बड़े विज्ञापन देने से कुछ नहीं होता. कोई गरीब बच्चा है तो हम उसको एक जगह बिठाकर साइंस के बेस्ट टीचर से पढ़वा सकते हैं. अगर किसी को कोई विषय पढ़ना है तो स्मार्ट बोर्ड पर पूरी टेक्स्ट बुक आ जाएगी.

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