Gig Economy: इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के लिए गीग इकोनॉमी कैसे बना नया करियर विकल्प?

पहले डिलीवरी या ड्राइविंग जैसी नौकरियों तक सीमित समझी जाने वाली गीग इकोनॉमी अब टेक, डिजाइन, कंटेंट और एनालिटिक्स जैसे हाई-स्किल क्षेत्रों में भी पैर जमा चुकी है. फ्रीलांसिंग प्लेटफॉर्म्स और रिमोट वर्क कल्चर ने इसे और सशक्त बना दिया है. भारत में लाखों युवा अब इसे अपने करियर की शुरुआत या साइड इनकम के रूप में अपना रहे हैं. हालांकि इसमें कई चुनौतियां भी हैं, लेकिन सरकार की पहल इस दिशा में उम्मीद की किरण बनकर उभरी हैं.

क्या है गीग इकोनॉमी?

गीग का मतलब है अस्थाई. गीग वर्कर्स आमतौर पर फ्रीलांसर होते हैं, जिन्हें किसी विशेष कार्य या प्रोजेक्ट के लिए रखा जाता है. इसमें लचीलापन और आत्मनिर्भरता मिलती है, जो आज के युवाओं को बहुत पसंद आ रही है.

विदेशों में भी है काफी डिमांड

अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों ने गीग वर्क को अपनी अर्थव्यवस्थाओं में गहराई से जोड़ा है. 2024 की अपवर्क रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका का 38% वर्कफोर्स फ्रीलांसर हैं, जिनमें से 79% के पास कम से कम स्नातक की डिग्री है और 47% आईटी, कंसल्टिंग और मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में ज्ञान-आधारित सेवाएं प्रदान करते हैं.

एआई और रिमोट वर्किंग ने जॉब मार्केट को बदल दिया है. कंपनियां अब कम लागत और तुरंत उपलब्धता के लिए फ्रीलांसरों को काम पर रखने को प्राथमिकता दे रही हैं.

भारत में गीग इकोनॉमी का बढ़ रहा प्रभाव

भारत में भी पारंपरिक नौकरियां ऑटोमेशन के कारण बदल रही हैं. ऐसे में कई नए ग्रेजुएट्स गीग जॉब्स को वर्कफोर्स में एंट्री के रूप में देख रहे हैं. भारत में वर्तमान में सॉफ्टवेयर, प्रोफेशनल सर्विसेज, डिजिटल मार्केटिंग, हेल्थकेयर और मीडिया जैसे क्षेत्रों में 10 मिलियन से अधिक गीग वर्कर्स हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक यह संख्या 23.5 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है.

मांग में वृद्धि और अवसर

फ्लेक्सिंगइट की रिपोर्ट बताती है कि 2024-25 में स्वतंत्र पेशेवरों की मांग में 38% की वृद्धि हुई है. इसमें टेक्नोलॉजी सर्विसेज (25%) सबसे आगे हैं, जिसमें AI से संबंधित प्रोजेक्ट्स का योगदान लगभग 10% है. इसके अलावा 25% फ्रीलांस प्रोजेक्ट्स लोकेशन इंडिपेंडेंट हैं और इन्हें आउटसोर्स किया जा सकता है.

करियर ग्रोथ और चुनौतियां

गीग सेक्टर एक एंट्री-लेवल करियर अवसर हो सकता है, लेकिन गीग पेशेवर समय के साथ कई करियर ग्रोथ विकल्प देख सकते हैं. अनुभव और क्लाइंट बेस के साथ नेटवर्किंग करके सफल स्टार्टअप्स की शुरुआत की जा सकती है. गीग जॉब्स में प्रोजेक्ट, क्लाइंट्स, स्किल्स और काम के घंटों में लचीलापन होता है. यह अंतर्राष्ट्रीय क्लाइंट्स के साथ काम करने का अवसर भी प्रदान करता है.

हालांकि गीग जॉब्स में निश्चित आय और जॉब सिक्योरिटी की कमी सबसे बड़ी चुनौती है. इनमें सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे PF, ESI या स्वास्थ्य बीमा नहीं मिलता है. क्लाइंट्स की विश्वसनीयता और भुगतान में देरी का भी जोखिम होता है. आय वृद्धि मांग में स्किल्स के साथ खुद को अपस्किल करने पर निर्भर करती है.

सरकारी नीतियां

  • भारत सरकार ने 2025-26 के बजट में गीग वर्कर्स को पहचान पत्र, ई-श्रम पंजीकरण और पीएम जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा सुरक्षा प्रदान करने की घोषणा की है.
  • कर्नाटक सरकार ने गीग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याण लाभ प्रदान करने के लिए एक प्लेटफॉर्म-आधारित गीग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की स्थापना की है.

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