झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा- 2023 का फाइनल रिजल्ट शुक्रवार को जारी कर दिया गया. कुल 342 अभ्यर्थी इस परीक्षा में सफल हुए. वहीं रिजल्ट आने के बाद ‘डीएसपी की पाठशाला’ अचानक सुर्खियों में आ गई. दरअसल, इस परीक्षा में फ्री में चलने वाली ‘डीएसपी की पाठशाला’ के एक दो नहीं बल्कि 342 में से 140 अभ्यर्थी सफल हुए और झारखंड में अधिकारी बन गए. इन 140 में तो चार ने टॉप-10 में भी जगह बनाई है.
बता दें कि झारखंड पुलिस में DSP विकास चंद्र श्रीवास्तव की इस पाठशाला को अब ऑफिसर बनाने की फैक्ट्री कहा जाने लगा है. इस परीक्षा में विकास चंद्र श्रीवास्तव के शिष्यों ने सफलता की नई कहानी लिख दी है. जहां 140 अभ्यर्थी सफल हुए तो वहीं टॉप-10 में चार अभ्यर्थी ने जगह बनाई. टॉपरों में फर्स्ट टॉपर आशीष अक्षत, सेकंड टॉपर अभय कुजूर, 5th टॉपर्स श्वेता और 8th टॉपर संदीप प्रकाश सहित कुल 140 अभ्यर्थियों ने JPSC परीक्षा में सफल होकर बाजी मार ली है.
‘डीएसपी की पाठशाला’ के 140 बच्चे पास
‘डीएसपी की पाठशाला’ DSP विकास चंद्र श्रीवास्तव द्वारा ऑनलाइन चलाई जाती है. इस पाठशाला में छात्रों से फीस नहीं ली जाती. यह पूरी तरह से फ्री है. पिछले करीब 10 साल से यह पाठशाला छात्रों को सिविल सेवा परीक्षा की तैयार करवा रही है. आज जब इस पाठशाला के 140 छात्र सफल हुए तो डीएसपी साहब के चेहरे की खुशी देखते बन रही थी. विकास चंद्र श्रीवास्तव ने TV9 डिजिटल से बात करते हुए कहा कि, “बच्चों की सफलता से ऐसी खुशी मिली है, जिसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूं.
विकास चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि खुशी इस बात की है कि अगर मेरे मार्गदर्शन में एक भी बच्चे का करियर बनता है तो यह सिर्फ उसकी ही नहीं बल्कि उसके पूरे परिवार के जीवन शैली को बदल देता है. कोविड के समय में मेरे द्वारा यूट्यूब पर ऑनलाइन ‘डीएसपी की पाठशाला’ शुरू की गई. मैं खुद बच्चों को पढ़ाता था. बच्चों का ऑनलाइन मॉक इंटरव्यू कराया जाता. ऑनलाइन ही कई लर्निंग मटेरियल उपलब्ध कराए जाते. उसकी लगातार मॉनिटरिंग की जाती.
मैं खुद बच्चों के प्रोग्रेस को चेक करता हूं
DSP विकास चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मैं खुद बच्चों के प्रोग्रेस को चेक करता हूं, उसमें सुधार करवाता हूं. इस बार तो ‘डीएसपी की पाठशाला’ के बच्चों ने परचम लहराते हुए कुल 342 में 140 सफल हुए हैं. दरअसल, ‘डीएसपी की पाठशाला’ संचालित करने वाले विकास चंद्र श्रीवास्तव के पिता भी एक शिक्षक थे. DSP विकास ने बताया कि पिता द्वारा जो शिक्षा दी गई, उसी का निर्वहन कर रहा हूं. चाहे ड्यूटी हो या फिर अपनी पाठशाला. युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए ड्यूटी के बाद जब भी समय मिलता, क्लासेस लेना शुरू कर दिया. देर रात तक क्लास चलती थीं.
परिवार को सपोर्ट मिला- DSP विवेक चंद्र श्रीवास्तव
DSP विकास चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि उनके इस काम में उनके परिवार का भी भरपूर सहयोग मिलता रहा. 140 बच्चे सफल हुए हैं तो उनकी जिम्मेदारी अब और बढ़ गई है. ज्यादा से ज्यादा बच्चों को सफल बनाकर एक बेहतर नेतृत्व देना भी एक दायित्व के रूप में लेता हूं और मैं इसका निर्वहन कर रहा हूं.