NEET UG 2025 का परिणाम आने के बाद देशभर में MBBS, BDS की खाली सीटों पर दाखिला के लिए काउंसलिंग शुरू हो गई है. इस बीच जोहो के संस्थापक और भारतीय अरबपति ने श्रीधर वेम्बू ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट लिखते हुए कहा है कि भारत के छात्र मेडिकल शिक्षा के लिए वियतनाम जा रहे हैं. वहां MBBS की फीस 4 लाख रुपये सालाना है. वहीं उन्होंने भारत में महंगी मेडिकल शिक्षा को शर्मनाक बताया है. आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा है? पूरा मामला क्या है?
वियतनाम और भारत की जीडीपी बराबर, फिर यहां फीस क्यों ज्यादा
जोहो के संस्थापक और भारतीय अरबपती श्रीधर वेम्बू ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट लिखी है. उन्होंने लिखा है कि हाल में उनके संज्ञान में आया कि भारतीय छात्र अपनी मेडिकल की पढ़ाई के लिए वियतनाम जा रहे हैं. जहां मेडिकल काॅलेज उनसे सालाना 4 लाख रुपये (करीब 4600 डॉलर) फीस लेते हैं. उन्होंने आगे लिखा है कि उनकी जानकारी में आया है कि वियतनाम में शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी है.
पोस्ट में श्रीधर वेम्बू ने आगे लिखा है कि वियतनाम में प्रति व्यक्ति जीडीपी 4700 डॉलर है, जबकि भारत के दक्षिणी राज्यों की जीडीपी भी लगभग इतनी ही है. ऐसे में वियतनाम के मेडिकल काॅलेज जो विदेशी छात्रों से फीस ले रहे हैं, वह उनकी प्रति व्यक्ति जीडीपी के लगभग बराबर है, जो समझ में आता है.
I recently came across Indian students going to Vietnam to study medicine and the colleges there charge them ₹4 lakh a year (about $4600) in fees. I am told the quality of education is good.
Vietnam’s GDP per capita is about $4700 and our southern states are at about the same
— Sridhar Vembu (@svembu) July 24, 2025
उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा है कि भारत के मेडिकल काॅलेज हमारी प्रति व्यक्ति जीडीपी की तुलना में इतनी अधिक फीस क्यों वसूल रहे हैं, जबकि वियतनाम विदेशी छात्रों को इतने कम खर्च में मेडिकल शिक्षा उपलब्ध करा रहा है. उन्होंने कहा कि ये शर्मनाक है कि भारतीय छात्रों को सस्ती मेडिकल शिक्षा पाने के लिए विदेश जाना पड़ता है.
भारत में एक करोड़ तक MBBS की फीस
भारत में मेडिकल शिक्षा बहुत महंगी है. मसलन, प्राइवेट कॉलेजों से MBBS करने के लिए छात्रों को 70 लाख से एक करोड़ रुपये तक की फीस सालाना चुकानी पड़ती है. इससे आधे में वियतनाम से मेडिकल की पूरी पढ़ाई की जा सकती है. इस वजह से प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में छात्र नीट जैसी कठिन परीक्षा पास करने के बाद भी रूस, यूक्रेन, नेपाल, फिलीपींस और बांग्लादेश जैसे देशों में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं.
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