कोचिंग सेंटरों की मनमानी रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सभी राज्यों को दो महीने के भीतर कोचिंग सेंटरों के लिए सख्त नियम बनाने का निर्देश दिया है, जिसमें अनिवार्य रजिस्ट्रेशन, छात्रों की सुरक्षा और शिकायतों के निवारण के लिए तंत्र सुनिश्चित करने को कहा गया है. इसके अलावा निर्देश में कहा गया है कि कोचिंग सेंटरों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए उपाय लागू करने होंगे. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार को इन निर्देशों के संबंध में तीन महीने के भीतर एक हलफनामा दाखिल करना होगा.
कोचिंग सेंटरों के लिए नए नियम
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभर में कोचिंग सेंटर बिना किसी स्पष्ट दिशानिर्देश के चल रहे हैं, जिससे छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है. इसीलिए कोर्ट ने सभी राज्यों को दो महीने के भीतर नियम लागू करने का निर्देश दिया है, जिसके तहत प्रत्येक कोचिंग सेंटर को गतिविधियों की निगरानी के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. इसके अलावा आग से सुरक्षा, बिल्डिंग सिक्योरिटी और आपातकालीन निकास से संबंधित मानकों का भी पालन किया जाना चाहिए. वहीं, कोर्ट ने कहा है कि छात्रों और पैरेंट्स की शिकायतों के समाधान के लिए पारदर्शी प्रक्रिया के लिए एक शिकायत निवारण सिस्टम भी स्थापित किया चाहिए.
छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष जोर
सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग संस्थानों में छात्रों के बढ़ते तनाव और मानसिक दबाव पर गंभीर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि सभी शैक्षणिक संस्थानों और खासकर कोचिंग सेंटर्स को एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति बनानी और लागू करनी होगी. इसके लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए. कोर्ट के मुताबिक, 100 या उससे अधिक छात्रों वाले कोचिंग सेंटरों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कम से कम एक सर्टिफाइड काउंसलर, साइकोलॉजिस्ट या सोशल वर्कर की नियुक्ति करना जरूरी है.
वहीं, जिन कोचिंग सेंटरों में 100 से कम छात्र हैं, उन्हें बाहरी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के साथ एक औपचारिक रेफरल सिस्टम स्थापित करना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों को जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल मदद मिले. कोचिंग सेंटर्स को सलाह दी गई है कि वो एकेडमिक परफॉर्मेंस के आधार पर छात्रों को अलग-थलग करने और सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करने से बचें, क्योंकि ये सब चीजें छात्रों पर बेमतलब का दबाव डालती हैं.
छात्रों के सुसाइड का परसेंटेज घटा
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार द्वारा लोकसभा में शेयर किए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में भारत में दर्ज किए गए सभी आत्महत्या मामलों में छात्रों के सुसाइड का परसेंटेज 7.6 फीसदी था. हालांकि, 2020 और 2021 के मुकाबले इसमें थोड़ी गिरावट जरूर आई है. 2020 में छात्रों के सुसाइ़ड का परसेंटेज 8.2 प्रतिशत तो 2021 में 8 प्रतिशत था.
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