पानी भरने से छात्रों की मौत सिस्टम का दोष…बेसमेंट बंदी सरकारी लाचारी, इससे सिर्फ छात्रों का खर्च 30 फीसदी तक बढ़ा

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राउॅस IAS स्टडी सर्किल में हुए हादसे को एक साल बीत गया है. 27 जुलाई 2024 को रॉउस IAS के बेसमेंट में पानी भरने से 3 छात्रों की मौत हो गई थी. इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया था. तो वहीं UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया था. इसके बाद से इस क्षेत्र से UPSC कोचिंग कर रहे छात्रों का पलायन भी शुरू हुआ. तो वहीं प्रशासन ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने के लिए कई कदम भी उठाए, जिसके तहत बेसमेंट में कोचिंग क्लास, लाइब्रेरी संचालन समेत किसी भी तरह के व्यवसायिक प्रयोग पर रोक लगा दी गई.

इस घटना और प्रशासनिक कार्रवाई को अब एक साल पूरा होने को है. ओल्ड राजेंद्र नगर में UPSC कोचिंग उद्योग पटरी पर लौट आया है, लेकिन अब छात्रों की परेशानियां जरूर बढ़ गई हैं. छात्रों का मानना है कि बेसमेंट में पानी भरने से छात्रों की मौत सिस्टम का दोष था तो वहीं प्रशासन ने बेसमेंट बंद करने का जो आदेश दिया वह सरकारी लाचारी का उदारहण है. इससे ना कोई वाजिब नफा हुआ, लेकिन सिर्फ छात्रों का खर्च 30 फीसदी तक बढ़ गया है. आइए छात्रों की इस परेशानी को विस्तार से समझते हैं.

ओल्ड राजेंद्र नगर UPSC कोचिंग हब पर एक नजर

इस पूरी कहानी से पर आगे बढ़ने से पहले एक नजर में ओल्ड राजेंद्र नगर UPSC कोचिंग हब पर डालते हैं. यहां पर लगभग 100 छोटे-बड़े कोचिंग संस्थान हैं, जिसमें देश में चल रहे सभी बड़े UPSC कोचिंग संस्थान यहां संचालित हो रहे हैं. असल में यहां पर संचालित कोचिंग संस्थान मुख्य तौर पर इंग्लिश मीडियम में कोचिंग उपलब्ध कराते हैं. इस वजह से यहां पर देशभर से छात्र कोचिंग के लिए आते हैं. एक अनुमान है कि यहां पर इस वक्त देशभर से आए 30 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं UPSC कोचिंग के लिए रह रहे हैं.

Old Rajendra Nagar

ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग हब पर एक नजर (Graphix Manoj Agarwal)

छात्रों की मौत, प्रदर्शन और कार्रवाई

इस रिपोर्ट पर आगे बढ़ने से पहले 27 जुलाई 2024 को हुई घटना के बाद के घटनाक्रम पर एक नजर डालते हैं. असल में सड़क पर जमा पानी रॉउस IAS के बेसमेंट में भरने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी. इसके बाद छात्रोंं ने नालियों की सफाई, सड़कों की मरम्मत, लाइब्रेरी, हॉस्टल समेत कई मांगों को लेकर प्रदर्शन किया तो वहीं प्रशासन ने ओल्ड राजेंद्र नगर में बेसमेंट के व्यवसायिक प्रयोग पर रोक लगा दी. नतीजतन, मौजूदा समय में बेसमेंट में ना ही कक्षाएं लग रही हैं और ना ही लाइब्रेरियां संचालित हो रही हैं. पूर्व तक बेसमेंट में कक्षाओं से लेकर लाइब्रेरी संचालित होती थी. वहीं क्षेत्र में पानी की निकासी और नालियों को ठीक कराने का काम जारी है.

घटना सिस्टम की कमी, खोले जाएं बेसमेंट

रॉउस IAS स्टडी सर्किल के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत को एक साल पूरा हो गया है. इसके साथ ही ओल्ड राजेंद्र नगर में बेसमेंट बंदी को भी एक साल पूरा होने को है. मौजूदा वक्त में छात्र बेसमेंट बंदी के फैसले से खुश नहीं है. इसको लेकर यूपीएससी कोचिंग कर रहे और छात्र प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले प्रशांत शुक्ल कहते हैं कि सिस्टम की खामियों की वजह से बेसमेंट में पानी भरा और छात्रों की मौत हुई, लेकिन बेसमेंट बंदी के फैसले से अन्य छात्रों की मुश्किलें बढ़ी हैं. जरूरी है कि सुरक्षा मानकों के साथ बेसमेंट खोले जाएं.

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UPSC अभ्यर्थी प्रशांत शुक्ल

वहीं UPSC की तैयारी कर रहे सुभाष ठाकुर कहते हैं कि बेसमेंट बंद करना समाधान नहीं हैं. बेसमेंट के व्यवासायिक प्रयोग की मनाही से कोचिंग सेंटरों ने ऊपरी मंजिल में कक्षाएं और लाइब्रेरी संचालित कर दी हैं. इसके लिए वह अधिक किराया दे रही हैं और आखिरी में ये खर्च छात्रों पर ही पड़ रहा है. सुबोध कहते हैं कि मेट्रो से लेकर मॉल तक बेसमेंट में संचालित हो रहे हैं, तो सुरक्षा मानको के साथ बेसमेंट में कक्षाएं और लाइब्रेरी क्यों संचालित नहीं हो सकती हैं.

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UPSC अभ्यर्थी सुभाष ठाकुर

बेसमेंट बंदी से कैसे बढ़ा छात्रों का खर्च, यहां समझें

ओल्ड राजेंद्र नगर में बेसमेंट बंदी के फैसले ने UPSC कोचिंग कर रहे छात्रों का खर्च बढ़ा दिया है. इसको लेकर प्रशांत शुक्ल कहते हैं कि एक छात्र का तकरीबन 30 फीसदी खर्च बढ़ गया है, जिसमें मकान के किराए से लेकर लाइब्रेरी, कोचिंग फीस और बाजार में होने वाले खर्च शामिल हैं.

कोचिंग फीस और लाइब्रेरी का खर्च

कोचिंग फीस और लाइब्रेरी के खर्च में हुई बढ़ोतरी को लेकर प्रशांत कहते हैं कि बेसमेंट में कोई भी कोचिंग संस्थान क्लास और लाइब्रेरी संचालित नहीं कर रहा है. सभी कोचिंग संस्थानों ने बिल्डिंग के ऊपरी फ्लोर में क्लास और लाइब्रेरी शुरू की हैं. इससे उनका किराया बढ़ा है. ताे वहीं उन्होंने बढ़े हुए किराए को छात्रों से वसूलना शुरू कर दिया है. प्रशांत बताते हैं कि एक साल पहले फाउंडेशन कोर्स की फीस उन्होंने 1.70 लाख रुपये चुकाई थी, वह आज दो लाख रुपये के पार है. इसी तरह लाइब्रेरी का खर्च भी दो से तीन हजार रुपये महीना बढ़ा है. क्योंकि बेसमेंट बंद होने की वजह से कई सारी लाइब्रेरियां बंद हो गई हैं.

मकानों का किराया 30 फीसदी तक बढ़ा

ओल्ड राजेंद्र नगर में यूपीएससी छात्रों का खर्च फीस बढ़ोतरी की वजह से ही नहीं बढ़ा है. मकानों के बढ़े किरायाें ने भी छात्रों की परेशानियां बढ़ाई हैं. इसे विस्तार से समझाते हुए प्रशांत शुक्ल कहते हैं कि राउॅस IAS की घटना के बाद यहां से छात्रों का पलायन शुरू हुआ था, उस दौरान मकानों का किराया जरूर थोड़ा कम हुआ. अब छात्र लौटने लगे हैं तो किराया भी उसी गति से बढ़ने लगा है. प्रशांत कहते हैं कि मौजूदा समय में एकसिंगल रूम 11 से 20 हजार रुपये महीना में उपलब्ध है.

इसी तरह अटैच रूम का किराया 13 से 25 हजार तक पहुंच गया है, जबकि एक रूम में 4 बेड वाले पीजी में एक बेड का किराया6 हजार रुपये महीना है. वहीं इसको लेकर सुभाष कहते हैं कि ओल्ड राजेंद्र नगर में ब्रोकर प्रभावी हैं, वह समय-समय पर मकान का किराया बढ़ाते रहते हैं. किराया नियंत्रण के लिए कोई पॉलिसी नहीं है. छात्रों को मजबूरी में अधिक किराया चुकाना पड़ता है.

प्रशांत कहते हैं कि उस दौरान छात्र प्रदर्शन में हमने किफायती दामों में हॉस्टल उपलब्ध कराने की मांग सरकार से की थी. आप सरकार ने मोहल्ला क्लिनिक की तर्ज पर मोहल्ला हॉस्टल शुरू करने का वादा किया था, लेकिन उलटा अब छात्रों को अधिक किराया चुकाना पड़ रहा है.

UPSC कोचिंग कर रहे छात्रों पर दबाव, इस साल दो सुसाइड

ओल्ड राजेंद्र नगर में रहकर पिछले तीन सालों से UPSC कोचिंग की तैयारी कर रहे प्रशांत शुक्ल कहते हैं कि बेसमेंट बंदी जैसे फैसले से UPSC की कोचिंग कर रहे कई छात्रों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है. वह कहते हैं कि अपने शहरों से UPSC कोचिंग के लिए यहां पर आए छात्रों पर पहले से आर्थिक, सामाजिक, मानसिक स्तर पर कई तरह के दबाव होते हैं. इस वजह से इस साल ही अब तक यहां पर दो छात्र सुसाइड कर चुके हैं.

पहला भाग वो 7 घंटे शाम 6.30 बजे राॅउस IAS के बेसमेंट में पानी भरने की कॉलरात डेढ़ बजे निकाले गए 3 छात्रों के शव

दूसरा भाग:Ground Report: रॉउस बिल्डिंग पर For Rent के बोर्ड, सेंटर्स में रौनक, सड़कें अभी भी बेहाल कोचिंग हादसे को एक साल, क्या कुछ बदला?