केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने संबद्ध स्कूलों को राहत देते हुए अपने उपनियमों में संशोधन किया है. जिसके तहत सीबीएसई ने अधिक सेक्शन या कक्षाओं के निर्माण को भूमि की उपलब्धता से अलग कर दिया गया है. सेक्शन या कक्षाओं का निर्माण भूमि के क्षेत्रफल के बजाए स्कूल भवन के कुल निर्मित क्षेत्रफल से जोड़ा जाएगा. इससे स्कूलों को अधिक कक्षाएं बनाने की स्वतंत्रता मिलेगी. बोर्ड ने इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है.
इससे पहले भूमि नियमों के आधार पर सेक्शनों के निर्माण पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण स्कूलों के विस्तार में समस्याएं आती थी. पहले सीमा यह थी कि स्कूल के पास उपलब्ध भूमि को बढ़ाया नहीं जा सकता था. बोर्ड के अनुसार अगर हम इसे फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) से जोड़ दें, जो किसी भवन के कुल उपयोग योग्य फ्लोर एरिया और उस भूखंड के कुल क्षेत्रफल को दर्शाता है, जिस पर भवन खड़ा है, तो इससे स्कूल को अधिक सेक्शन बनाने की स्वतंत्रता मिल जाएगी. नए नियम के अनुसार 400 वर्ग मीटर में सेक्शन शुरू कर सकेंगे.
क्या है नया नियम?
पुराने कानूनों के तहत 4,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर 28 सेक्शन बनाए जा सकते थे, लेकिन नए प्रावधानों के तहत, 6,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले स्कूल में अधिकतम 45 सेक्शन बनाए जा सकते हैं. संशोधन में यह भी कहा गया है कि क्लास 9 और 10 व 11-12 पर अनुमत कुल सेक्शनों की संख्या कुल सेक्शनों की संख्या का एक-चौथाई होगा.
सीबीएसई के अनुसार यदि किसी स्कूल में कक्षा एक से बारह तक 12 सेक्शन हैं, तो प्रत्येक कक्षा के लिए एक सेक्शन होने पर कक्षा 9 और 10 के सेक्शनों का अनुपात 16% होगा. इसे बढ़ाकर 25% कर दिया गया है, जिसका मतलब यह है कि कक्षा 9 और 10 के लिए अतिरिक्त सेक्शन हो सकते हैं. यह संशोधन कक्षा 11 और 12 के लिए भी समान रूप से लागू है. इससे पड़ोसी स्कूलों के अधिक छात्रों को समायोजित करने में मदद मिलेगी, जो केवल कक्षा 8 तक ही संचालित होते हैं.
क्यों किया गया संशोधन?
यह संशोधन स्कूलों से प्राप्त उस प्रतिक्रिया के बाद आया कि कुछ क्षेत्रों में भूमि की उपलब्धता की भारी कमी है और नए प्रवेशों की मांग होने पर भी स्कूलों को अनुमत सीमा से अधिक अतिरिक्त सेक्शन बढ़ाने में कार्यात्मक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में बोर्ड ने भूमि संबंधी नियम में संशोधन किया है.
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