Delhi School Fee Bill: क्या है दिल्ली सरकार का स्कूल बिल? पेरेंट्स को फायदा या स्कूल को? समझें प्वाइंट टू प्वाइंट

Private School Fee Hike: हर साल जब स्कूल का नया सत्र शुरू होता है, तो कई पैरेंट्स के लिए टेंशन भी साथ लेकर आता है. बच्चों की यूनिफॉर्म, किताबें, कॉपी के अलावा एक और बड़ी चिंता होती है. बढ़ी हुई स्कूल फीस. फीस में अचानक 10-20% की बढ़ोतरी कर दी जाती है और वो भी बिना किसी ठोस वजह के, कई बार तो ऐसा लगता है, जैसे स्कूल कोई जवाबदेही मानते ही नहीं. बच्चों पर भी इसका असर पड़ता है. नाम काटने की धमकी, रिजल्ट रोकने या सबके सामने शर्मिंदा करने जैसी बातें आम हो चुकी है.

दिल्ली सरकार स्कूल फीस के संबंध में एक नया बिल लेकर आई है, जिससे स्कूलों की फीस तय करने का तरीका बदलेगा और उसमें पारदर्शिता आएगी. दिल्ली सरकार कह रही है कि अब प्राइवेट स्कूल मनमानी नहीं कर पाएंगे और पैरेंट्स को भी आवाज उठाने का हक मिलेगा. लेकिन क्या वाकई ऐसा होगा? चलिए अब सीधे समझते हैं कि ये बिल है क्या किन बातों पर अभी भी सवाल उठ रहे हैं.

बिल लाने की जरूरत क्यों पड़ी?

हर साल प्राइवेट स्कूल अचानक फीस बढ़ा देते हैं. पैरेंट्स की कोई सुनवाई नहीं होती. इस बार भी अप्रैल में कई स्कूलों ने फीस बढ़ाई, जिससे पैरेंट्स परेशान हो गए और विरोध शुरू हुआ. इसके बाद दिल्ली सरकार यह बिल लाई ताकि सभी प्राइवेट स्कूलों पर एक जैसा नियम लागू हो और कोई भी स्कूल मनमर्जी से फीस न बढ़ा सके.

अब फीस कैसे तय होगी?

अब हर स्कूल को एक स्कूल-लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी बनानी होगी. इसमें स्कूल की तरफ से एक व्यक्ति होगा, शिक्षा विभाग का प्रतिनिधि होगा और 5 पैरेंट्स भी होंगे, जिन्हें लॉटरी से चुना जाएगा. इसमें कम से कम दो महिलाएं और एक कमजोर वर्ग का व्यक्ति भी होना जरूरी होगा. स्कूल को हर साल 31 जुलाई तक अगली तीन साल की फीस का प्रस्ताव देना होगा. कमेटी उस फीस को देखेगी और जरूरत हो तो घटा भी सकती है. इसके बाद तय हुई फीस स्कूल की वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर साफ-साफ लिखना होगा.

अगर पैरेंट्स को फीस ज्यादा लगे तो क्या करें?

अगर किसी पैरेंट को फीस पर आपत्ति है तो वह अकेले शिकायत नहीं कर पाएंगे. कम से कम 15% पैरेंट्स को मिलकर ग्रुप बनाना होगा, तभी शिकायत कर सकते हैं. यह शिकायत जिला स्तर पर बनी फीस अपीलीय कमेटी में जाएगी. अगर यहां से समाधान नहीं मिला तो मामला रिवीजन कमेटी के पास जाएगा. स्कूल या पैरेंट्स दोनों इसके खिलाफ अपील कर सकते हैं.

स्कूल अगर नियम नहीं माने तो?

अगर कोई स्कूल तय फीस से ज्यादा वसूलता है या फीस न देने पर बच्चों को सजा देता है, जैसे क्लास में न बैठने देना, नाम काटना या रिजल्ट रोकना, तो सरकार उस पर 50 हजार से 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगा सकती है. जरूरत पड़ी तो स्कूल की संपत्ति जब्त की जा सकती है.

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