देश के 23 राज्यों में स्कूल ड्राॅपआउट दर 10% से ज्यादा, शिक्षा मंत्रालय ने बताया 5 कारणों से पढ़ाई बीच में छोड़ रहे बच्चे

School Dropout: शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत देश में 8वीं तक की पढ़ाई फ्री है, लेकिन इसके बाद बड़ी संख्या में बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं. शिक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सेकेंडरी स्तर पर स्कूल ड्राॅपआउट की दर 10 फीसदी से अधिक है. सेकेंडरी कक्षाओं के स्तर पर पूरे भारत में स्कूल ड्राॅपआउट की दर 14 फीसदी से अधिक दर्ज की गई है.

वहीं शिक्षा मंत्रालय ने बताया है कि आखिर कौन से 5 कारणों से बच्चे बीच में पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होते हैं. साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल ड्राॅपआउट पर लगाम लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी दी है.

बिहार में 25 फीसदी स्कूल ड्राॅपआउट दर

स्कूल ड्राॅपआउट दर के बारे में शिक्षा मंत्रालय की तरफ से बीते दिनों संसद में जानकारी दी गई है. असल में राज्यसभा में 23 जुलाई को दिए गए जवाब में शिक्षा मंत्रालय ने बताया है कि शैक्षणिक सत्र 2023-24 में बिहार और असम में सेंकेडरी स्तर पर स्कूल ड्राॅपआउट दर 25 फीसदी से अधिक है. तो वहीं शैक्षणिक सत्र 2023-24 में देश के 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सेंकेंडरी स्तर पर स्कूल ड्राॅपआउट की दर 10 फीसदी से अधिक है.

इसमें आंध्र प्रदेश 12.5 %, अरुणाचल प्रदेश 19.3 %, असम 25.1 %, बिहार 25.6%, छत्तीसगढ़ 16.3 %, दादर नगर हवेली 18.4 %, दिल्ली 10.4 %, गुजरात 21 %, हरियाणा 13.8 %, झारखंड 15.2 %, कर्नाटक 22.1 %, जम्मू एंड कश्मीर 13.4 %, लद्दाख 19.8 %, मध्य प्रदेश 17.7 %, महाराष्ट्र 10.1 %, मणिपुर 15.3 %, मेघायल 22 %, राजस्थान 11.1 %, वेस्ट बंगाल 17.8 % प्रमुख हैं.

इन कारणों से बीच में पढ़ाई छोड़ रहे बच्चे

शिक्षा मंत्रालय ने बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ने के 5 कारण बताएं हैं. शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों से मिले फीडबैग के बाद ये कारण निर्धारित किए गए हैं. इसमें माइग्रेशन, बच्चों पर घरेलू जिम्मेदारियों का बोझ, परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियां, बच्चों की पढ़ाई में कम रुचि और बच्चों का खराब स्वास्थ्य शामिल हैं.

इन उपायों से रोक लगाने की तैयारी

स्कूल ड्राॅपआउट पर रोक लगाने के लिए शिक्षा मंत्रालय की तरफ से प्रभावी कदम भी उठाए जा रहे हैं. उपलब्ध जानकारी के अनुसार बीच में बच्चों को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर ना होना पड़े, इसको लेकर शिक्षा मंत्रालय स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण, नए स्कूल खोलना, कस्तूरबा गांधी बालिका समेत नेताजी सुभाष बोस विद्यालयों की स्थापाना, विद्या समीक्षा केंद्र (VSK) की स्थापना को लेकर काम कर रही है. ता वहीं कई राज्यों में छात्रों को वित्तीय सहायता देने का भी प्रावधान है.

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