NCERT Partition Module 2025: राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने भारत-पाकिस्तान बंटवारे पर एक नया मॉड्यूल जारी किया है. एनसीईआरटी की ओर से ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ 14 अगस्त पर जारी किए गए एक नए विशेष मॉड्यूल में बंटवारे के लिए तीन लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसमें जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की, दूसरे- कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया और तीसरे माउंटबेटन, जिन्होंने इसे लागू किया. आइए जानते हैं कि मॉड्यूल में भारत-पाक बंटवारे को लेकर और क्या-क्या बताया गया है.
मॉड्यूल का जिसका शीर्षक है ‘विभाजन के अपराधी’. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जुलाई 1947 में दिया गया एक भाषण भी शामिल है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हम एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां हमें या तो विभाजन स्वीकार करना होगा या निरंतर संघर्ष और अराजकता का सामना करना होगा. विभाजन बुरा है, लेकिन एकता की कीमत चाहे जो भी हो, गृहयुद्ध की कीमत उससे कहीं ज्यादा होगी.
शामिल किया गया माॅड्यूल
ये मॉड्यूल उन विशिष्ट विषयों पर अलग-अलग लघु प्रकाशन हैं, जो पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं हैं. एक कक्षा 6 से 8वीं (मध्य स्तर) के लिए है और दूसरा कक्षा 9वीं से 12वीं (माध्यमिक स्तर) के लिए है. विभाजन के दोषियों वाला खंड पहले भाग में आता है. विभाजन में लगभग 6 लाख लोगों की मौत हुई और करीब 1.5 करोड़ लोग विस्थापित हुए, जो पाठ्यपुस्तकों में नहीं होता है. उसे NCERT मॉड्यूल में प्रकाशित करता है. कक्षा 6 से 8 और कक्षा 9वींं से 12वीं के लिए अलग-अलग मॉड्यूल बनाए गए हैं.
बच्चों के कैसे पढ़ाया जाता है माॅड्यूल?
एनसीईआरटी के विशेष मॉड्यूल अंग्रेजी और हिंदी में पूरक संसाधन हैं, जो समकालीन और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण विषयों को कवर करते हैं. ये नियमित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं हैं और इन्हें परियोजनाओं, पोस्टरों, चर्चाओं और वाद-विवादों के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली स्थित इतिहासकार और प्रोफेसर डॉ. रुचिका शर्मा ने स्कूली पाठों में विभाजन को शामिल करने का स्वागत किया, लेकिन इसके कारणों को अति-सरलीकृत करने के प्रति आगाह किया. उन्होंने कहा कि केवल जिन्ना, माउंटबेटन और कांग्रेस को ही इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार ठहराना अनुचित है.
देश की एकता हुई खंडित
मॉड्यूल के अनुसार, 1947 और 1950 के बीच, विभाजन ने भारत की एकता को खंडित किया, शत्रुतापूर्ण सीमाएं बनाईं, सामूहिक हत्याएं और विस्थापन को बढ़ावा दिया. सांप्रदायिक अविश्वास को गहरा किया, पंजाब और बंगाल की अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया और जम्मू-कश्मीर को सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय पतन के रास्ते पर डाल दिया, जो बाद में आतंकवाद के कारण और भी बदतर हो गया.
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