न्यायिक सेवा में जाने की कर रहे हैं तैयारी! सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला जरूर पढ़ लें

Eligibility for judgeship: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि जज बनने के लिए भी वकालत का अनुभव होना जरूरी है. कोर्ट ने अपने पुराने फैसले में किसी भी तरह का बदलाव करने से मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, जज की परीक्षा देने के लिए उम्मीदवारों के पास कम से कम तीन साल का वकालत का अनुभव होना चाहिए. कोर्ट ने साफ किया कि अगर इस नियम में बदलाव किया गया तो इससे कई और दिक्कतें खड़ी हो जाएंगी. ये फैसले नए और पुराने सभी तरह के लॉ प्रोफेशनल्स में लागू होगा, जिसमें जज भी शामिल हैं.

आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के पीछे क्या वजह है. कौन सी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.

क्यों दिया गया यह फैसला?

पूरा मामला तब सामने आया है जब मध्य प्रदेश के एक जज ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी. उन्होंने कहा था कि अगर कोई व्यक्ति पहले से ही जज के पद पर है, तो उनके अनुभव को भी वकालत के तीन साल के अनुभव के बराबर माना जाए. उनकी मांग थी कि उन्हें भी दूसरे राज्यों में होने वाली जज की परीक्षाओं में बैठने की अनुमति दी जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस दलील को नहीं माना.

20 मई को आया था पहला फैसला

इससे पहले, 20 मई को चीफ जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने यह फैसला दिया था कि कानून की पढ़ाई पूरी करने वाले नए छात्र सीधे जज की परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे. उन्हें पहले तीन साल तक वकालत करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जज बनने से पहले वकीलों को अदालती कार्यवाही और कानूनी प्रक्रिया का व्यावहारिक अनुभव होना चाहिए.

हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा था कि तीन साल के अनुभव में लॉ इंटर्न के समय को भी शामिल किया जा सकता है, लेकिन कोर्ट ने किसी भी न्यायिक अधिकारी (यानी जो पहले से ही जज हैं) के अनुभव को इस शर्त के लिए नहीं माना.

कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका?

बीते गुरुवार को चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने इस मामले को फिर से सुना. मध्य प्रदेश के जज की तरफ से अपील की गई थी कि उनका अनुभव भी इस शर्त में शामिल किया जाए, ताकि वे दूसरे राज्यों में भी परीक्षा दे सकें. लेकिन कोर्ट ने साफ कह दिया, मध्य प्रदेश में क्या गलत है? हम इस फैसले में कोई बदलाव नहीं करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि अगर इस फैसले में कोई बदलाव किया जाता है, तो इससे कई और समस्याएं पैदा हो सकती हैं. यह कहते हुए कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया.

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