NIRF Ranking 2025: एम्स भुवनेश्वर ने रैंकिंग में लगाई लंबी छलांग, बना देश का 14वां बेस्ट मेडिकल कॉलेज

Medical Colleges in India: देशभर के मेडिकल कॉलेजों की दौड़ में AIIMS भुवनेश्वर ने बड़ी छलांग लगाई है. नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2025 में संस्थान ने 14वां स्थान हासिल किया है. 2021 में जहां यह 31वें पायदान पर था, वहीं चार साल में 17 पायदान बढ़कर यह देश के टॉप मेडिकल कॉलेजों में शामिल हो गया है.

खास बात यह है कि ओडिशा में यह नंबर वन मेडिकल संस्थान बनकर उभरा है. इंफ्रास्ट्रक्चर, पढ़ाई, रिसर्च और मरीजों की देखभाल में बेहतर माहौल ने इसकी पहचान मजबूत की है. संस्थान के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. आशुतोष बिस्वास इसे पूरे AIIMS भुवनेश्वर परिवार की मेहनत का नतीजा मानते हैं. यह उपलब्धि न सिर्फ एक रैंकिंग की जीत है, बल्कि मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में ओडिशा की बढ़ती ताकत का सबूत भी है.

ओडिशा में का टाॅप मेडिकल काॅलेज

NIRF रैंकिंग के हिसाब से AIIMS भुवनेश्वर ओडिशा का टाॅप मेडिकल कॉलेज है. इसने पूरे ओडिशा में पहला स्थान हासिल किया है, जो बताता है कि यहां मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं अच्छी हैं. यह सिर्फ मेडिकल कॉलेजों की रैंकिंग तक ही सीमित नहीं है. AIIMS भुवनेश्वर को देश के टॉप 100 संस्थानों की ‘ओवरऑल’ कैटेगरी में भी जगह मिली है. AIIMS भुवनेश्वर ने 100 में से 64.31 अंक हासिल किए हैं, जो बताता है कि इसका प्रदर्शन हर क्षेत्र में शानदार रहा है.

कैसे मिली यह सफलता?

AIIMS भुवनेश्वर की इस सफलता के पीछे इसके एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. आशुतोष बिस्वास की दूरदर्शी सोच और नेतृत्व का हाथ बताया जा रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, मरीजों की देखभाल, पढ़ाई और रिसर्च में बेहतरीन वातावरण ने संस्थान की रैंकिंग को बेहतर बनाने में मदद की है. वहीं डॉ. बिस्वास के मुताबिक, इस सफलता का श्रेय संस्थान के सभी फैकल्टी, कर्मचारियों और छात्रों को जाता है. यह पहचान संस्थान की कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा है. उनके अनुसार, वह स्वास्थ्य सेवा में बेहतरीन काम करने, वर्ल्ड क्लास रिसर्च को बढ़ावा देने और अगली पीढ़ी के डॉक्टर तैयार करने के अपने लक्ष्य पर कायम रहेंगे.

रैंकिंग में किन बातों का रखा जाता है ध्यान

  1. पढ़ाई, सिखाना और संसाधन
  2. रिसर्च और प्रोफेशनल काम
  3. ग्रेजुएशन के बाद के नतीजे
  4. पहुंच और सबको साथ लेकर चलना
  5. पहचान

(इनपुट – शुभाशीष दास)

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