केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. साल 2023-24 के प्रदर्शन पर आधारित इस रिपोर्ट में स्कूली शिक्षा के आधार पर राज्यों को रैंकिंग दी गई है. शिक्षा मंत्रालय की स्कूल शिक्षा प्रणाली पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार देश में मेघालय के स्कूलों का प्रदर्शन सबसे खराब है. तो वहीं रिपोर्ट में शिक्षा मंत्रालय के ‘उत्कर्ष’, ‘उत्ति-उत्तम’ या ‘उत्तम’ वाले पैमाने में पहुंचने में कोई भी राज्य सफल नहीं हुआ है. हालांकि रिपोर्ट में कई राज्यों की स्कूली शिक्षा की रैंकिंग में सुधार दर्ज किया गया है. आइए जानते हैं कि ये रिपोर्ट और क्या कहती है.
स्कूली शिक्षा में ये राज्य अव्वल
शिक्षा मंत्रालय की साल 2023-24 के प्रदर्शन पर आधारित स्कूल शिक्षा प्रणाली रिपोर्ट में चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात और ओडिशा अव्वल रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि शीर्ष प्रदर्शन करने वाले अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केरल, दमन एवं दीव, हरियाणा, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान भी शामिल हैं. वहीं रिपोर्ट में जिला स्तर पर स्कूलाें की रैंकिंग पीजीआई-डी के तौर पर की गई है.
इन राज्यों का प्रदर्शन औसत
शिक्षा मंत्रालय की स्कूल शिक्षा प्रणाली पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार पुडुचेरी, हिमाचल प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल औसत प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल है. वहीं रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो साल में सबसे अधिक प्रगति ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, चंडीगढ़ और गोवा ने की है. वहीं छत्तीसगढ़, पंजाब और पश्चिम बंगाल के प्रदर्शन में भारी गिरावट दर्ज की गई, जबकि दिल्ली ने साल-दर-साल सबसे अधिक सुधार दर्ज किया, लेकिन आंकड़ों की अनुपलब्धता के कारण दो साल की अवधि में इसकी तुलना नहीं की जा सकी.
वहीं इस रिपोर्ट को लेकर मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस रैंकिंग की अवधारणा स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव के लिए की गई है, जिसका उद्देश्य एक समान पैमाने पर देश के सभी जिलों में स्थित स्कूलों के सापेक्ष प्रदर्शन का आकलन करना है.
91 से 100 फीसदी तक नहीं कोई राज्य
शिक्षा मंत्रालय की इस रिपोर्ट के अनुसार स्कूली शिक्षा प्रणाली में कोई भी राज्य 91 से 100 फीसदी रैंक प्राप्त कर बेहतर करने के पैमाने तक नहीं पहुंच पाया है. मंत्रालय ने इस उपलब्धि को शीर्ष चार ग्रेड श्रेणियों में बांटा है, जिसे ‘दक्ष’, ‘उत्कर्ष’, ‘उत्ति-उत्तम’ या ‘उत्तम’ नाम दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि उल्लेखनीय प्रगति हुई है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. रिपोर्ट में रेखांकित किया है कि अगर भारत को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और सतत विकास लक्ष्य के तहत निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करना है तो निरंतर नीतिगत प्रयास और शासन सुधार महत्वपूर्ण हैं.
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