सड़कें खालीं, घरों में सन्नाटा… उत्तराखंडों के गांवों से क्यों हो रहा पलायन?

उत्तराखंड के गांवों और पहाड़ों से बड़ी संख्या में पलायन हो रहा है. इसका मुख्य कारण नौकरी की कमी और शिक्षा की ठीक व्यवस्था न होना हैं. यह चौंकाने वाला खुलासा उत्तराखंड ग्रामीण विकास और पलायन रोकथाम आयोग की रिपोर्ट में हुआ है. इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य से जो लोग बाहर जा रहे हैं, उनमें से 15 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो शिक्षा की ठीक व्यवस्था न होने की वजह से गांव छोड़ रहे हैं और 50% लोग ऐसे हैं जो नौकरी की तलाश में पलायन कर रहे हैं.

रिपोर्ट में जो बताया गया है वह बेहद चौंकाने वाला है. इसके मुताबिक राज्य में कुल 12,000 से ज्यादा प्राइमरी स्कूल हैं, लेकिन इनमें से लगभग 1,149 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. करीब आधे स्कूलों में तो प्रिंसिपल भी नहीं हैं. इतना ही नहीं, 3,500 से ज्यादा स्कूलों में सिर्फ एक ही टीचर सभी क्लासों को पढ़ा रहे हैं, यानी एक ही व्यक्ति पहली से लेकर आठवीं तक सभी बच्चों को पढ़ा रहा है.

सिर्फ एक बच्चा और खाली क्लासरूम

रिपोर्ट में एक और हैरान करने वाली बात सामने आई है, 8,300 से ज्यादा क्लासरूम ऐसे हैं जहां सिर्फ एक छात्र पढ़ रहा है. और इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि लगभग 19,600 क्लासरूम पूरी तरह खाली हैं, यानी उनमें कोई भी बच्चा नहीं आता. ये हालात पौड़ी गढ़वाल, टिहरी, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जैसे जिलों में सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं.

स्कूलों में लीडरशिप और सब्जेक्ट्स की भी समस्या

सरकार के 17,000 से ज्यादा स्कूलों में से केवल 7,300 में ही प्रिंसिपल की पोस्ट भरी गई है. बाकी स्कूल बिना किसी लीडर के चल रहे हैं. इसके अलावा, सब्जेक्ट्स के हिसाब से भी शिक्षक अनबैलेंस्ड हैं, कहीं सोशल साइंस के टीचर ज्यादा हैं तो कहीं साइंस के टीचर कम हैं. इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है.

पलायन से और बिगड़ रहे हालात

जब गांवों से लोग बाहर चले जाते हैं, तो स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो जाती है. इससे स्कूलों की हालत और खराब हो जाती है, ये एक बुरे चक्र (vicious cycle) की तरह है, जहां हालत लगातार बिगड़ती जाती है.

क्या है समाधान?

जिन गांवों में पानी और सुविधाएं कम हैं, वहां के बच्चों को एडमिशन में छूट दी जाए. ज्यादा बच्चों वाले स्कूल और कम बच्चों वाले स्कूल आपस में एक्सचेंज प्रोग्राम चलाएं, ताकि रिसोर्सेज का सही इस्तेमाल हो. आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस. नेगी ने कहा, “हालत सच में चिंताजनक है. अगर यही चलता रहा, तो आगे चलकर मिडिल और हाई स्कूलों में भी बच्चे नहीं बचेंगे. हमने रिपोर्ट सरकार को दे दी है, अब जरूरी है कि तुरंत और ठोस कदम उठाए जाएं.”

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