देश के सबसे बड़े एंट्रेंस टेस्ट, JEE, NEET-UG और CUET-UG की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत की काम की खबर है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इन परीक्षाओं के क्वेश्चन पेपर पैटर्न की समीक्षा करने का फैसला किया है. इसका मुख्य मकसद यह सुनिश्चित करना है कि एंट्रेंस टेस्ट पूरी तरह से 12वीं क्लास के सिलेबस पर आधारित हों, ताकि छात्रों को अनावश्यक दबाव और भ्रम का सामना न करना पड़े.
मंत्रालय ने इस दिशा में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी करेंगे. इस समिति का पहला एजेंडा इन सभी परीक्षाओं के पिछले कुछ वर्षों के क्वेश्चन पेपर डेटा का गहन विश्लेषण करना है. उसके आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी.
इन 4 सवालों के जवाब ढूढेंगी समिति
- प्रश्न पत्रों का स्तर क्या रहा है?
- क्या 12वीं के सिलेबस से बाहर के भी प्रश्न पूछे जा रहे हैं?
- कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट में शिकायत रहती है कि विभिन्न शिफ्टों में पेपर के डिफिकल्टी लेवल में अंतर रहता है, ऐसा क्यों हो रहा है?
- औसत स्तर के छात्रों के लिए पेपर कितने अनुकूल रहे हैं?
क्यों हो रही है यह समीक्षा?
लंबे समय से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि इन प्रतिष्ठित परीक्षाओं में कुछ प्रश्न 12वीं के सिलेबस से बाहर के होते हैं या उनका स्तर बेहद कठिन होता है. इस बार NEET-UG और CUET-UG की परीक्षाओं को लेकर छात्रों और विशेषज्ञों से खासी शिकायतें मिली हैं, जिससे मंत्रालय ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है.
मंत्रालय का लक्ष्य है कि 2026 से सभी प्रमुख एंट्रेंस टेस्ट का सिलेबस पूरी तरह से 12वीं पर आधारित हो. यदि कहीं कोई कमी या गैप है, तो उसे दूर किया जाएगा. प्रश्न पत्र ऐसे तैयार किए जाएंगे, जिनमें अधिकांश प्रश्न औसत छात्रों के लिए हों और कुछ ही प्रश्न उच्च स्तर के हों, ताकि हर स्तर के छात्र को उचित अवसर मिले.
छात्रों को क्या फायदा होगा?
कम होगा तनाव: 12वीं के सिलेबस पर फोकस होने से छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं के साथ एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी में तालमेल बिठाना आसान होगा.
समान अवसर: शिफ्टों में पेपर की डिफिकल्टी में अंतर की समस्या दूर होने से सभी छात्रों को समान मूल्यांकन का अवसर मिलेगा.
स्पष्टता: परीक्षा पैटर्न, मार्किंग स्कीम, प्रश्नों की संख्या आदि पर पहले से ही SOP जारी की जाएगी, जिससे छात्रों को तैयारी के लिए पर्याप्त स्पष्टता मिलेगी.
स्थिरता: डॉ. के. राधाकृष्णन समिति की सिफारिशों के अनुसार, हर परीक्षा का टाइम टेबल और वार्षिक शेड्यूल तय होगा और कम से कम छह महीने पहले जारी किया जाएगा. अंतिम समय में होने वाले बदलावों से भी बचा जाएगा.
डमी स्कूलों पर भी लगेगी लगाम!
इस उच्च-स्तरीय समिति में CBSE के चेयरमैन भी शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार, CBSE को यह भी जांचने के लिए कहा जाएगा कि कौन से स्कूल कोचिंग सेंटरों से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं और स्कूल में ही कोचिंग सेंटर के शिक्षक कक्षाएं ले रहे हैं.
इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे, क्योंकि यह स्कूल टीचिंग को प्रभावित करती है. 2026 के एंट्रेंस टेस्ट में इन सकारात्मक बदलावों का सीधा फायदा छात्रों को मिलेगा, जिससे उनकी उच्च शिक्षा की राह और आसान हो सकेगी.
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