योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एक बच्ची का दाखिला मुरादाबाद के सबसे महंगे स्कूल में हुआ है. अब बच्ची को किसी भी तरह की फीस नहीं चुकानी पड़ेगी. इसके बाद देशभर से लोग ये जानना चाहते हैं कि क्या अन्य अभिभावक भी अपने बच्चों को महंगे प्राइवेट स्कूल में फ्री में पढ़ा सकते हैं. ये सवाल तब ज्यादा जरूरी हो जाता है, जब देशभर में प्राइवेट स्कूल तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. अमूमन देश के प्रत्येक जिले में प्राइवेट स्कूल खुल चुके हैं. अभिभावक अपने बच्चों को इन महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने का सपना देखते हैं, लेकिन महंगी होती स्कूली शिक्षा की वजह से कई अभिभावक अपने इस सपने काे साकार नहीं कर पाते हैं. वहीं कई अभिभावक ऐसे हैं, जिन्होंने अपने बच्चों का दाखिला महंगे प्राइवेट स्कूल में करा तो दिया है, लेकिन महंगी फीस की वजह से उनका बजट हमेशा गड़बड़ाया रहता है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या इन महंगे प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा सकता है. इस सवाल का जवाब कुछ शर्तो के साथ हां है… आइए विस्तार से समझते हैं कि प्राइवेट स्कूलों में ईडब्ल्यूएस बच्चों को फ्री में पढ़ाने वाला RTE नियम क्या है, ये किन पर लागू होता है?
RTE से प्राइवेट स्कूलों की 25 फीसदी सीटें रिजर्व
देशभर के महंगे प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा सकता है? इस सवाल का जवाब कुछ शर्तों के साथ हां में है. इसके पीछे का मुख्य आधार पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 है. इस अधिनियम में शर्त है कि निम्न आय वर्ग (EWS) वाले अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में फ्री में पढ़ा सकते हैं. दूसरे शब्दों में समझें तो देशभर के प्राइवेट स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कोटे से फ्री में पढ़ाया जा सकता है. ऐसे बच्चों के लिए देशभर के प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसदी सीटें कानूनी तौर पर रिजर्व हैं.
पहली कक्षा में मिलता है दाखिला, 8वीं तक पढ़ाई
देशभर के प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत ईडब्ल्यूएस कोटे से फ्री में दाखिला के नियमों की जानकारी के लिए हमने ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवाेकेट अशोक अग्रवाल से बात की. अशोक अग्रवाल बीते कई सालों से देश में आरटीई पर काम कर रहे हैं. अग्रवाल बताते हैं कि आरटीई के तहत ईडब्ल्यूएस कोटे के बच्चों को पहली कक्षा में दाखिला देने का प्रावधान है. तो वहीं ऐसे बच्चों की 8वीं तक की पढ़ाई प्राइवेट स्कूलों में फ्री होगी. उन्होंने कहा कि आरटीई के तहत ये सुनिश्चित किया गया है कि 6 से 14 साल तक के बच्चों को फ्री शिक्षा मिले. इस कानून के तहत अगर किसी अभिभावक के पास ईडब्ल्यूएस कोटे का सर्टिफिकेट है तो वह प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चे का दाखिला फ्री में करवा सकता है.
प्राइवेट स्कूल दाखिला देने से मना नहीं कर सकते हैं
ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवाेकेट अशोक अग्रवाल ने कहा कि आरटीई के तहत अगर कोई अभिभावक दाखिला की शर्तें और पात्रता पूरी करता है तो उसके बच्चे को दाखिला देने के लिए प्राइवेट स्कूल मना नहीं कर सकते हैं. ना ही सरकारी स्कूलों में बच्चों के दाखिला के लिए अभिभावकों को बाध्य किया जा सकता है. अगर प्राइवेट स्कूल के पास रिजर्व सीटों में से सीटें खाली हैं तो उन्हें दाखिला देना पड़ेगा. अगर प्राइवेट स्कूल संचालक दाखिला देने से मना करते हैं तो इसकी शिकायत की जा सकती है.
राज्यों के पास 12वीं तक लागू करने का अधिकार
आरटीई में ईडब्ल्यूएस बच्चों की प्राइवेट स्कूलों में 8वीं तक तक फ्री शिक्षा की व्यवस्था की गई है. इसको लेकर ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवाेकेट अशोक अग्रवाल कहते हैं कि दिल्ली में सरकारी जमीन पर बने प्राइवेट स्कूलों में 12वीं तक ईडब्ल्यूएस बच्चों को फ्री शिक्षा दी जाती है. इसके लिए कोर्ट ने ऑर्डर किया हुआ है. वहीं अग्रवाल कहते हैं कि अन्य राज्यों में भी ये व्यवस्था लागू हो सकती है. संविधान ने राज्यों और केंद्र सरकार को आरटीई में संशोधन करने का अधिकार दिया हुआ है, जिसके तहत वह 12वीं तक प्राइवेट स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कोटे के बच्चों को फ्री शिक्षा दे सकते हैं.
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