दिल्ली के स्कूलों में जल्द ही गुजरात मॉडल लागू होगा. दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बीते दिनों गुजरात के कुछ हाई टेक स्कूलों का दौरा किया था. वहां के स्मार्ट एजुकेशन सिस्टम से वह बेहद प्रभावित हुए हैं. इसके बाद फैसला किया गया है कि अब दिल्ली में भी गुजरात की तरह स्मार्ट और हाईटेक स्कूल तैयार किए जाएंगे, जिसके तहत दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), स्मार्ट बोर्ड, ड्रोन और सिक्योरिटी सेंसर, रोबोटिक्स, 3D प्रिंटर जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. तो वहीं स्टूडेंट्स इनके बारे में पढ़ाई भी कर सकेंगे.
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है और यहां सभी संसाधन उपलब्ध हैं, फिर भी यहां के सरकारी स्कूलों में तकरीबन 100 स्मार्ट क्लासरूम हैं. गुजरात हर साल कई जिलों में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है, उसके बाद भी अब तक वहां 1.1 लाख से अधिक स्मार्ट क्लासरूम स्थापित किए गए हैं.
दिल्ली के स्कूलों में दिखेंगे ये बदलाव
- क्लासरूम डिजिटल हो जाएंगे, जहां ब्लैकबोर्ड की जगह स्मार्टबोर्ड और स्क्रीन होंगी.
- बच्चे वीडियो, एनिमेशन और इंटरैक्टिव प्रेजेंटेशन से पढ़ाई करेंगे, जिससे उन्हें समझने में आसान होगी.
- शिक्षक भी डिजिटल टूल्स से बच्चों को पढ़ाएंगे और उनकी प्रगति को रियल टाइम में ट्रैक कर पाएंगे.
- क्लास में दिए गए नोट्स और असाइनमेंट अब क्लाउड पर मिलेंगे, ताकि बच्चे उन्हें कभी भी पढ़ सकें.
Gujrat Model : गुजरात मॉडल में क्या खास है?
- एक लाख से ज्यादा स्मार्ट क्लासरूम तैयार हो चुके हैं.
- पढ़ाई पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जैसे डिजिटल बोर्ड, ऑनलाइन टेस्ट और AI टूल्स का इस्तेमाल.
- बच्चों की पढ़ाई पर नजर रखने के लिए डेटा सिस्टम और शिक्षकों के लिए नियमित ट्रेनिंग की व्यवस्था है.
‘दिल्ली का शिक्षा मॉडल असफल’
दिल्ली के शिक्षा मंत्रीआशीष सूद का मानना है कि दिल्ली में अब तक शिक्षा के क्षेत्र में जो किया गया, वह काफी नहीं था. उन्होंने दिल्ली के शिक्षा मॉडल को असफल बताया और कहा कि अब समय असली बदलाव का है. अगर ये नई योजना सही से लागू होती है, तो दिल्ली के सरकारी स्कूलों की पढ़ाई का स्तर काफी बेहतर होगा.
आम लोगों के लिए क्यों जरूरी है यह बदलाव?
- दावा किया जा रहा है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों को अब निजी स्कूल जैसी सुविधाएं मिलेंगी.
- पढ़ाई के तरीकों में बदलाव से बच्चे ज्यादा रुचि से और बेहतर तरीके से सीख पाएंगे.
- डिजिटल सिस्टम से पारदर्शिता बढ़ेगी और हर बच्चे की पढ़ाई पर नजर रखना आसान होगा.
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