गुजरात के गंभीरा पुल हादसे के बाद एक्शन में आई राज्य सरकार ने कई संबंधित अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है. हादसे के बाद नदी से अब तक करीब 17 शव निकाले गए हैं. राज्य सरकार ने गुजरात सड़क एवं भवन विभाग के चार इंजीनियरों को तुरंत निलंबित कर दिया. यह कार्रवाई शुरुआती जांच के आधार पर की गई. ऐसे में आइए जानते हैं कि पुल बनाने के लिए किस विषय की पढ़ाई करनी पड़ती है और किन-किन सरकारी विभागों में नौकरियां मिलती हैं.
पुल बनाने के लिए सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी पड़ती है. यह इंजीनियरिंग की एक ब्रांच है. सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक कोर्स चाल साल का होता है. 12वीं पीसीएम स्ट्रीम के साथ स्टूडेंट्स इसकी पढ़ाई कर सकते हैं. इंटरमीडिएट के साथ जेईई मेन्स और जेईई एडवांस परीक्षा पास कर आईआईटी और एनआईटी से सिविल ब्रांच से बीटेक कर सकते हैं. इसकी कोर्स की प्राइवेट सेक्टर में भी डिमांड रहती है.
सिविल इंजीनियरिंग में किसकी होती है पढ़ाई?
बीटेक की इस ब्रांच में सड़कों, पुलों, इमारतों, बांधों, नहरों, रेलवे लाइनों और अन्य बुनियादी ढांचे (Infrastructure) के डिजाइन, निर्माण और रख-रखाव की पढ़ाई कराई जाती है. कोर्स के दौरान इमारतों, पुलों, टावरों का डिजाइन और मजबूती, सड़कें, हाईवे, रेलवे, ट्रैफिक प्लानिंग और प्रोजेक्ट प्लानिंग, साइट मैनेजमेंट, कॉस्टिंग सहित कई विषयों की पढ़ाई कराई जाती है.
क्या होता है सिविल इंजीनियर का काम?
हाइवे बनाना , फ्लाईओवर, एक्सप्रेस-वे, पुल निर्माण, अंडरपास, ओवरब्रिज, भवन निर्माण, बांध निर्माण, अंडरग्राउंड स्ट्रक्चर, वॉटर ट्रीटमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसे विभिन्न काम सिविल इंजीनियर केहोते हैं. सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद जूनियर इंजीनियर (जेई), सहायक इंजीनियर (एई) और आईईएस अधिकारी पदों पर सरकारी नौकरियों के मौके होते हैं.
सिविल इंजीनियर को कितनी मिलती है सैलरी?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकारी विभागों में सिविल जूनियर इंजीनियर की शुरुआती सैलरी करीब 35000 रुपये के आसपास होती है. इसके अलावा उन्हें कई भत्ते भी दिए जाते हैं. वहीं असिस्टेंट इंजीनियर की शुरुआती बेसिक सैलरी करीब 44000 रुपये होती है.
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